भोपाल, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दमोह उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार की करारी हार के बाद दमोह के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के तबादले पर सवाल उठाते हुए इस निर्णय को अचंभित व हैरान करने वाला बताया है? उन्होंने कहा है कि शिवराज सरकार के इस कृत्य से एक सवाल उठता है कि क्या दमोह में भाजपा को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी वहाँ के कलेक्टर और एसपी को सौंपी गई थी?
कमलनाथ ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि यदि दमोह जिले के कलेक्टर और एसपी ने अपने कत्र्तव्यों के निर्वहन और अपनी वर्दी का सम्मान करते हुये निष्पक्ष चुनाव कराये तो क्या सरकार उन्हें इस कर्तव्यपरायणता की सजा देगी? उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि साफ़ नजर आ रहा है
भाजपा प्रशासन का दुरूपयोग कर चुनाव जीतना चाहती थी, और अपने इस नापाक मंसूबे में असफल होने के बाद अब प्रशासनिक अधिकारियों में आतंक पैदा करने के लिये कलेक्टर एवं एसपी को हटाया गया है।
पूर्व सीएम ने कहा कि दमोह चुनाव की पराजय का दूसरा शिकार भाजपा के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया एवं उनके पुत्र सिद्धार्थ मलैया को बनाया जा रहा है।
यदि वास्तव में धनबल के साथ-साथ पूरी भाजपा, पूरी सरकार, 22 मंत्री, कई विधायक और सांसद के दमोह में महीनों डेरा डालने के बाद भी यदि मलैया परिवार कांग्रेस को 17000 वोटों से जीत दिला सकते हैं, तब उनके वर्चस्व और राजनीतिक कौशल को देखते हुये उन्हें तत्काल मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना देना चाहिये?
जबकि ये हार वास्तव में भाजपा के हर उस नेता की है जो पूरे दो महीने दमोह में रहने के बाद भी अपने उम्मीदवार को जीत नहीं दिला सके, ये हार शिवराज की उस अनैतिक राजनीति की हार है जो खरीद-फऱोख्त से सत्ता हथियाने के लिये कुख्यात है, ये हार उन तमाम लोगों की हार है जो खुद को लोकतंत्र और संविधान से ऊपर समझते हैं।
कमलनाथ ने कहा कि दमोह में भाजपा की हार शिवराज सरकार के एक साल के कार्यकाल पर जनता का मत है। ये हार बताती है कि भाजपा ने पिछले एक साल में मध्यप्रदेश को कैसी सरकार दी है।
मध्यप्रदेश की सौदेबाजी की सरकार में आज हर व्यक्ति पीडि़त है, फिर भी सरकार अपनी झूठी वाहवाही और विज्ञापनबाजी में लगी हुई है। कमलनाथ ने कहा कि मुझे ये कहते हुये गर्व होता है कि दमोह में कांग्रेस को मिली प्रचंड जीत दमोह की जनता की जीत है, सच्चाई की जीत है, लोकतंत्र की जीत है, हमारे आदर्शवादी सिद्धांतों की जीत है।