इंदौर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore City) जिले के अस्पतालों में बेड नहीं, श्मशानों में शव जलाने की जगह नहीं, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की किल्लत लगातार ही बनी हुई है। फिर भी इंदौर जिला प्रशासन कह रहा है कि स्थिति नियंत्रण में है। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के आंकड़ें कुछ भी कहें लेकिन जलती चिताएं सब कुछ बयां कर रही है.
यदि अप्रैल माह के 30 दिनों को छोड़ें तो इंदौर में हर माह औसतन 1500 से 1800 तक मौतें होती रही हैं, लाॅकडाउन के बाद से लॉकडाउन की वजह से सड़क हादसों में लगातार ही भारी कमी आई हैं। सामान्य तौर पर सड़क हादसों में भी शहर में हर माह 20 से ज्यादा मौतें हो जाती हैं हालाँकि कोराेना वायरस महामारी के दौर में अप्रैल के 30 दिनों में ही 4950 मौतें अधिक हो गईं।
इंदौर शहर के मुक्तिधामों के आंकड़े प्रशासन की पोल खोल रहे हैँ, पिछले माह अप्रैल में एक ही श्मशान में करीब 1500 शवों का अंतिम संस्कार हुआ, स्वास्थ्य विभाग द्वारा रोज जारी होने वाले कोरोना बुलेटिन में मृतकों का आंकड़ा काफी कम है। हालाँकि यह सिर्फ इंदौर नहीं प्रदेश के सभी जिलों के यही हाल है, शहर के मुक्तिधामों के रजिस्टर और कर्मचारी कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैँ।
इंदौर जिले के पश्चिम क्षेत्र में स्थित पंचकुइया मुक्तिधाम के कर्मचारी पूनम बाबा ने जानकारी देते हुए बताया, वह यहां रोजाना अनेकों शवों का दाह संस्कार करते हैं, उनका कहना है कि अप्रैल में 1500 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है, अप्रैल से पहले तक तो सूरज ढलने के बाद शवों को नहीं जलाया जाता था, लेकिन आपदा के दौर में अब देर रात तक भी एक के बाद शव मुक्तिधाम में पहुंच रहे हैं।
यह हाल सिर्फ एक ही मुक्तिधाम का नहीं है, इंदौर शहर में ऐसे कई मुक्तिधाम हैं, जहां रोजाना कई शव पहुंच रहे हैं, इंदौर शहर में 51 मुक्तिधाम, कब्रिस्तान हैं। इंदौर जिला प्रशासन ने निगम व मुक्तिधाम से आंकड़े जारी करने पर पाबंदी जरूर लगा राखी है परन्तु सेवादारों के प्राप्त जानकारी के अनुसार रोज औसतन 20 अंत्येष्टियां कोविड प्रोटोकॉल से हाे रही हैं, जबकि रिकॉर्ड में सिर्फ 3 से 5 मौतें ही दर्शाई जा रही हैं।
हालाँकि फिलहाल तो हालत ये है कि कोरोना वायरस से मरने के बाद मुक्तिधाम में भी अवैध वसूली शुरू हो गई है, जी हाँ शहर के कई मुक्तिधाम में कन्डो के लिए दो से चार गुना तक (5 रुपए के कंडे के 10 से 12 रुपए ) वसूले जा रहे हैं।
ज्यादातर मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कर चिता जल्दी ठंडी होने के चक्कर में कंडों से ही दाह संस्कार किया जा रहा है जिससे जल्द चिता ठंडी हो और अगली चिता के लिए जगह मिल सके वैसे, मुक्तिधाम में 3500 रुपए की राशि दाह संस्कार के लिए तय है, लेकिन कंडे में इतनी राशि खर्च नहीं होती।
हालाँकि 10 रुपए के हिसाब से 3500 रुपए के कंडे भी माने जाएं, तो 350 कंडे होते हैं, जबकि एक चिता में 100 से 125 कंडे और बारीक लकड़ियां लग रही हैं, यानि अभी तो सिर्फ 2 हजार रुपए में ही अंतिम संस्कार हो रहा है।