भोपाल: देशभर में चल रहे कृषि कानून के विरोध में किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है। मध्य प्रदेश में भी कृषि कानूनों में संशोधन की मांग उठने लगी है। जिसके चलते कई जिलों के किसान दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में पहुंच चुके हैं। लेकिन 8 दिसंबर को किसानों द्वारा बंद के आह्वान का असर मध्य प्रदेश में बहुत कम देखने को मिलेगा। भारत बंद के आव्हान के दिन भोपाल समेत प्रदेश की सभी 255 मंडियां संचालित होती रहेंगी और बाजार भी बंद नहीं किए जाएंगे। इसी कारण इसका भोपाल समेत प्रदेश में ज्यादा असर अब तक नहीं दिख रहा है।
किसान आंदोलन को समर्थन लेकिन बंद को नहीं- व्यापारी संघ
8 दिसंबर को होने वाले बंद के लिए किसी भी व्यापारी संगठन ने बंद का समर्थन नहीं किया है। संगठनों का कहना है कि बंद करने को लेकर अभी तक चर्चा ही नहीं हुई है और न ही किसी ने संपर्क ही किया है। इधर कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का भी कहना है कि इसका असर शहरों में नहीं बल्कि गांव में देखा जाएगा। अब तक बंद जैसी कोई बात नहीं की गई है।
कृषि बिलों में सुधार के लिए किसानों के साथ खड़ा है व्यापारी संघ
वहीं भले ही व्यापारी संघ ने भारत बंद का समर्थन न किया हो लेकिन किसानों द्वारा केंद्र के कृषि बिलों के विरोध का उन्होंने समर्थन किया है। भोपाल के गल्ला मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ज्ञानचंदानी ने बताया कि मंडी बंद नहीं रहेगी, लेकिन हम किसानों की मांगों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि मंडी एक्ट के अनुसार, मंडी बंद करने के लिए कम से कम 72 घंटे पहले सूचना देनी होती है, ताकि यहां आने वाले किसानों को किसी तरह की परेशानी ना हो। इसलिए भोपाल समेत मध्य प्रदेश की 255 मंडियों में नियमित काम चलेगा, लेकिन वाणिज्यिक कार्य नहीं होंगे। इसका असर किसानों और आम लोगों पर नहीं पड़ेगा। मंडी एसोसिएशन पूरी तरह से किसानों के समर्थन में है। हम भी बिल में संशोधन चाहते है। जैसे टैक्स एक समान होना चाहिए। अगर बाहर टैक्स फ्री है, तो मंडी में भी टैक्स फ्री होना चाहिए और मंडी में टैक्स है तो बाहर भी टैक्स लगाया जाना चाहिए। इस तरह की कुछ मांगों के समर्थन में हम हैं, लेकिन काम चलता रहेगा। मध्य प्रदेश में इसका ज्यादा असर नहीं होगा।
MP के किसान अपनी मांगों पर अड़े
पंजाब हरियाणा के किसानों को समर्थन देते हुए भारतीय किसान संगठन के जिला अध्यक्ष सुरेश पाटीदार ने कहा कि जिस तरह दिल्ली में किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं, उसी तरह हम भोपाल के नीलम पार्क में धरने पर बैठ गए हैं। हम तब तक यहां पर धरने पर बैठे रहेंगे, जब तक कि दिल्ली में किसान डटे रहते हैं। हमने किसी संगठन से अभी संपर्क नहीं किया है, लेकिन अगर कोई संगठन हमसे जुड़ना चाहता है, तो हम उसका स्वागत करते हैं। हम कृषि विधेयक के विरोध में है और उसे वापस लेने की मांग करते हैं। पुलिस ने 1 दिन पहले हमें जबरन प्रदर्शन स्थल से हटा दिया था और हमें प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी।