भोपाल,। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कोरोना (Corona Virus) की दूसरी लहर बैंक सेक्टर के लिए खतरनाक साबित हो रही है। प्रदेश में कुछ ही दिनों के भीतर 116 से अधिक बैंक कर्मियों की मौत कोरोना की वजह से हो गई है।
मप्र कॉआपरेटिव बैंक एम्पाइज फेडरेशन, यूनाइडेट फोरम ऑफ बैंक यूनियन व अन्य बैंकों से जुड़े संगठनों का दावा है कि मृतकों का आंकड़ा इससे भी ज्यादा है। इस मामले में बैंक कर्मचारियों की संस्थाओं ने इन परिस्थितियों के लिए पूरी तरह से सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
इस संबंध में भोपाल कॉआपरेटिव बैंक के अध्यक्ष एवं मप्र कॉआपरेटिव बैंक एम्पलाइज फेडरेशन के उपाध्यक्ष विमल कुमार दुबे प्रदेश सरकार पर कई सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार ने पुलिस जवानों को कोरोना वॉरियर्स माना है और मृत्यु की स्थिति में जवान के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता एवं नौकरी देने का क्रम शुरू किया है।
सहकारी बैंक से जुड़े कर्मचारियों ने की सरकार से मांग
इसी प्रकार से कृषि विभाग में काम के दौरान कोरोना होने व उन्हें कोरोना वॉरियर्स मानकर किसी भी प्रकार की मृत्यु होने पर 25 लाख रुपये तत्काल आर्थिक मदद परिवार को देने का ऐलान किया गया है।
मुख्यमंत्री भी स्वास्थ्य विभाग एवं आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को कोरोना वॉरियर्स घोषित कर चुके हैं और एक बार फिर उन्होंने बीते दिवस गुरुवार को ही ऐसे सभी लोगों के परिजनों को 50 लाख रुपये की मदद देने की अपनी बात दोहराई है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में राज्य सरकार ने प्रदेश में सहकारी बैंकों से जुड़े लोगों को कोरोना वॉरियर्स तो माना है लेकिन काम के दौरान मृत्यु होने पर कर्मचारी के परिवार को आर्थिक मदद मुहैया ना कराकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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अभी हमारे पास जो अपने साथियों से जुड़े प्रदेश भर से आंकड़े एकत्र हुए हैं, उनके अनुसार 70 से 80 लोगों की मौत कोरोना के कारण प्रदेश में हो चुकी है। साथ ही 1100 से अधिक लोग कोरोना संक्रमण से प्रभावित होकर राज्य के विभिन्न अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं।
मध्य प्रदेश में कोरोना से गई 116 से अधिक बैंककर्मियों की जान
उन्होंने कहा कि हमने आज ही सरकार से फिर अपनी पुरानी मांग दोहराई है कि सहकारी बैंक कर्मियों को भी वे अन्य घोषित कोरोना वॉरियर्स की तरह देखें, जान उनकी भी बहुत कीमती है।
दुबे ने बताया कि वे आज सहकारिता मंत्री को ज्ञापन देकर आए हैं, जिसमें सहकारी बैंक कर्मियों, पैक्स (पीएसीके) के कर्मचारियों को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पत्र की तर्ज पर चिकित्सा व्यय व निधन होने पर परिवार को सहायता राशि 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख दिए जाएं।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने दिया था सरकार को प्लान
इस संबंध में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन से जुड़े कर्मचारी नेता संजीव सबलोक कहते हैं, हमने सरकार के संस्थागत वित्त (डीआईएफ) को दिए गए प्लान में कहा था कि प्रदेश में बैंक केवल जरूरी सेवाओं के लिए ही खुलें। सरकार तय करे और चार से पांच बैंकों का एक क्लस्टर बना दिया जाए।
क्लस्टर में शामिल बैंक शाखाएं क्रमबद्ध तरीके से एक-एक दिन ही खोली जाएं लेकिन सरकार ने यह प्लान नहीं माना और अब तक उसे लटकाकर रखा, लेकिन आज जब कोरोना से स्थितियां संभल ही नहीं पा रहीं, तब जाकर यह माना गया है। अब बहुत देर हो चुकी है, बड़ी संख्या में बैंक कर्मचारी इसकी चपेट में आ गए हैं।
प्रदेश की 40 राष्ट्रीयकृत बैंक शाखाएं कोरोना संक्रमित
यूनाइडेट फोरम ऑफ बैंक यूनियन के महासचिव वीके शर्मा का कहना है कि संक्रमण की स्थिति इस कदर गंभीर है कि प्रदेश में 40 राष्ट्रीयकृत बैंक शाखाएं कर्मचारी-अधिकारियों के संक्रमित होने के कारण बंद करनी पड़ गई हैं।
सबसे अधिक इंदौर में आईआईटी कैंपस स्थित बैंक शाखा समेत नौ बैंक शाखाओं के सभी कर्मचारी और अधिकारी संक्रमित हैं। इसके बाद बुदनी (सीहोर), मैहर (सतना), बैढ़न (सिंगरौली), चुरहट (सीधी) की भी बैंक शाखाएं इन्हीं कारणों से बंद हैं।