इंदौर: इंदौर में राशन की कालाबाज़ारी के बड़े खुलासे के बाद यह जानकारी मीडिया के माध्यम से सामने आई थी, कि इसमें शामिल तीन लोगों भरत दवे, प्रमोद दहीगुडे और श्याम दवे पर रासुका की कार्रवाई का निर्णय लिया गया है, और 31 लोगों पर FIR दर्ज करने का निर्णय लिया गया। लेकिन आज जारी रासुका के आदेश में भरत दवे व श्याम दवे पर ही रासुका लगाने के आदेश जारी हुए हैं, इस रासुका के आदेश में कहीं भी प्रमोद दहीगुडे का नाम नजर नहीं आ रहा है?
जिस दिन प्रमोद दहीगुडे का नाम राशन की कालाबाजारी में सामने आया था, उसी दिन उनके एक विचारधारा व दल से जुड़े हुए फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। क्या सत्ताधारी दल व एक विचारधारा से जुड़े होने के कारण प्रमोद दहाईगुडे को बचाने का काम किया जा रहा है ? क्यों उन पर अभी तक रासुका नहीं लगाई गई है? जबकि जिस दिन राशन की कालाबाज़ारी का खुलासा हुआ था, उस दिन ही यह बात सामने आई थी कि प्रमोद दहीगुडे के भी तीन राशन भंडार, राशन की कालाबाजारी में शामिल हैं और उन पर भी प्रकरण दर्ज हुआ है, तो फिर उसके बाद भी उन पर रासुका की कार्रवाई नहीं होने से ऐसा लग रहा है, कि यह सारी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित हो रही है, और सत्ताधारी दल से जुड़े होने के कारण प्रमोद दहीगुडे को बचाने का खेल खेलने का प्रयास हो रहा है।
जिस कार्रवाई की मुख्यमंत्री प्रशंसा कर रहे है और कह रहे हैं कि इसके दोषियों की संपत्ति ज़ब्त करो, इन पर कड़ी कार्रवाई करो तो फिर क्या कारण है कि प्रमोद दहीगुडे पर रासुका की कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है?