भोपाल। मध्यप्रदेश में ऐसे कलेक्टर की कुर्सी पर बैठे कुछ अधिकारी जिन्होंने आपदा को भी अवसर बना लिया है, वरना क्या मजाल कि मध्य प्रदेश में एक भी इंजेक्शन की कालाबाजारी होती, वहीँ दूसरी तरफ की बात करें तो मध्य प्रदेश में ही कुछ अफसर ऐसे हैं जो मानवता और कर्तव्य के लिए इतिहास रच रहे हैं। इन्ही में से एक है मनोज पुष्प (IAS Manoj Pushp) यह एक ऐसा ही नाम है जिसे जो भी सुन रहा है सब सेल्यूट कर रहे है.
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मनोज पुष्प (IAS MANOJ PUSHP) फ़िलहाल मंदसौर कलेक्टर (Mandsore Collector) के पद पर पदस्थ हैं और निरंतर अपनी सेवाए दे रहे है, मंदसौर कलेक्टर मनोज पुष्प कोविड प्रभारी मंत्री हरदीप सिंह डंग (Hardeep Singh Dang) के साथ सर्किट हाउस (Circit House) में आयोजित बैठक में शामिल थे उसी समय उन्हें सूचना मिली की मां को वेंटिलेटर पर लिया गया है.
चल रही बैठक के बाद बाद उज्जैन कमिश्नर संदीप यादव (Sandeep Yadav) के साथ कोरोना वायरस के इंतजाम के लिए VC में बैठे थे कि तभी फोन पर पत्नी विनीता का मैसेज था ‘मम्मी नहीं रहीं’। मां की मौत की सूचना मिलने के बाद भी कलेक्टर मनोज पुष्प वो VC पूरी होने तक बैठे रहे।
अपना कर्तव्य निभाने के बाद कलेक्टर मनोज पुष्प अपने बंगले पहुंचे, और अपनी मां स्नेह प्रभा को बेड से उतारा, अर्थी सजाई, अपने गार्ड, प्यून आदि के साथ शव वाहन से श्मशान पहुंचे। कलेक्टर मनोज पुष्प अपनी मां को अंतिम विदाई देकर लौटे और फिर से वायरलेस और मोबाइल पर उन्हें ‘अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होने को है’ जैसे मैसेज सुने दे रहे थे ।
जिसके बाद तुरंत ही कलेक्टर मनोज पुष्प राजस्थान के सीमावर्ती जिलों, रतलाम आदि से ऑक्सीजन जुटाने में लग गए थे जहां से भी व्यवस्था हुई पहले उन मरीजों तक पहुंचाए जिनके सिलेंडर खत्म होने को थे।
बंगले पर नोटिस चिपकाया : कोई शोक मनाने ना आए
मंदसौर कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा मां तो चली गई, अब हम भी शोक मनाने बैठ जाते तो जिले की स्थिति बिगड़ सकती थी, दोपहर 3.30 बजे के आस पास अंतिम संस्कार कर लौटा फिर ऑक्सीजन के इंतजाम, विभागीय बैठक में ही जुट गया था। और बंगले पर भी सूचना चिपका दी थी कि कोई शोक व्यक्त करने ना आए, फोन पर भी सिर्फ मैसेज ही करें। हालाँकि मेने तो उसी समय महाराष्ट्र में होस्टल में रह रही बेटी वदानिया से लेकर सतना, रीवा से आने वाले रिश्तेदारों को भी मना कर दिया था।