मध्यप्रदेश की लोकप्रिय “लाड़ली बहना योजना” के अंतर्गत प्रदेश सरकार एक बार फिर बहनों को आर्थिक सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। 16 अप्रैल 2025 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंडला जिले से इस योजना की 23वीं किश्त की राशि ₹1250/- सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर करेंगे। यह कार्यक्रम न केवल आर्थिक सशक्तिकरण की मिसाल बनेगा, बल्कि सामाजिक सम्मान और विश्वास का प्रतीक भी होगा।
क्या है लाड़ली बहना योजना?
लाड़ली बहना योजना की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य प्रदेश की महिलाओं को स्वावलंबी, आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत 18 से 60 वर्ष की आयु वर्ग की विवाहित, विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता और अविवाहित महिलाओं को हर माह ₹1250/- की आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाती है।
अब तक इस योजना की 22 किश्तें सफलतापूर्वक ट्रांसफर की जा चुकी हैं, और अब 23वीं किश्त का आयोजन मंडला जिले से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कर-कमलों द्वारा किया जाएगा।
मुख्यमंत्री की मौजूदगी में विशेष आयोजन
16 अप्रैल 2025 को मंडला में आयोजित भव्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं मंच से लाभार्थियों को संबोधित करेंगे। इस अवसर पर लाखों बहनों को प्रत्यक्ष और वर्चुअल माध्यम से जोड़ा जाएगा और ₹1250/- की राशि उनके खाते में डालकर योजना की पारदर्शिता और ईमानदारी का प्रमाण प्रस्तुत किया जाएगा।
मुख्य आकर्षण होंगे:
- मुख्यमंत्री का सीधा संवाद लाड़ली बहनों से
- लाभार्थियों की अनुभव साझा करने की प्रस्तुतियां
- जिले और प्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति
- सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और महिला सशक्तिकरण पर आधारित प्रदर्शनी
23वीं किश्त: आंकड़ों में योजना की सफलता
अब तक इस योजना के अंतर्गत प्रदेश की 1 करोड़ 31 लाख से अधिक बहनों को लाभ मिल चुका है। हर माह ₹1250/- की दर से यह सहायता हर बहन के लिए सम्मान और आत्मनिर्भरता की कुंजी बन चुकी है।
किश्त संख्या | स्थान | राशि | लाभार्थियों की संख्या |
---|---|---|---|
23वीं | मंडला | ₹1250/- | 1,31,00,000+ |
यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि लाखों परिवारों के जीवन में स्थायित्व और सशक्तिकरण की दिशा में लिया गया क्रांतिकारी कदम है।
मंडला जिले का चयन क्यों है महत्वपूर्ण?
मंडला जिला, जो आदिवासी बहुल और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है, को इस बार के कार्यक्रम के लिए चुना जाना राज्य सरकार के समावेशी विकास दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह जिले के नागरिकों के लिए गौरव का विषय है कि उन्हें मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सीधा लाभ मिलेगा।
साथ ही, यह चयन इस बात का भी संकेत है कि प्रदेश सरकार अंतिम व्यक्ति तक योजना के लाभ को पहुंचाना चाहती है, चाहे वह शहर में हो या दूरस्थ वनांचलों में।
योजना के लाभ: केवल आर्थिक सहायता नहीं, सम्मान की अनुभूति
लाड़ली बहना योजना की सफलता का कारण केवल राशि का ट्रांसफर नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपा सम्मान, आत्मनिर्भरता और सुरक्षा का भाव है। बहनों ने स्वयं कहा है कि इस राशि का उपयोग वे अपने:
- बच्चों की शिक्षा
- रसोई और घरेलू आवश्यकताओं
- स्वास्थ्य सेवाओं
- छोटे व्यवसाय शुरू करने
जैसी आवश्यकताओं में करती हैं। यह राशि उन्हें समाज में अपना स्थान बनाने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है।
डिजिटल माध्यम से पारदर्शी भुगतान प्रणाली
प्रदेश सरकार ने इस योजना के तहत 100% डिजिटल भुगतान प्रणाली अपनाई है। प्रत्येक बहन के बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से राशि भेजी जाती है, जिससे किसी भी प्रकार की धांधली या बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो जाती है।
इसकी मॉनिटरिंग हेतु विशेष IT सिस्टम और पोर्टल बनाए गए हैं, जहां से लाभार्थी अपने भुगतान की स्थिति की जानकारी खुद भी ले सकती हैं।
सरकार की प्रतिबद्धता और भविष्य की योजनाएं
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि महिलाओं का सशक्तिकरण ही प्रदेश के विकास का मूल आधार है। उन्होंने कहा है कि लाड़ली बहना योजना को:
- और अधिक बहनों तक पहुंचाना
- राशि में वृद्धि करने का भविष्य में प्रयास करना
- शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार से जोड़ना
जैसे पहलुओं के साथ और भी मजबूत किया जाएगा।
नारी सशक्तिकरण की दिशा में राष्ट्रीय उदाहरण
लाड़ली बहना योजना केवल मध्यप्रदेश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए महिला सशक्तिकरण का आदर्श मॉडल बनकर उभरी है। आर्थिक सहयोग, डिजिटल पारदर्शिता, सामाजिक सम्मान और राजनीतिक संकल्प—इन चार स्तंभों पर आधारित यह योजना भारत की प्रगतिशील योजनाओं में गिनी जा रही है।