भोपाल। मध्यप्रदेश के तहसीलदार और नायब तहसीलदार अपने ही मुख्यमंत्री से नाराज हैं। वो लामबंद हो गए हैं और सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में जाने का मन बना रहे हैं। बता दें कि अविवादित नामांतरण का निराकरण, निर्धारित समयसीमा 30 दिन में न करने पर तहसीलदार या नायब तहसीलदार पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाने का ऐलान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किया था। शासन ने इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं। मुख्यमंत्री की इस घोषणा को पूरा करने शासन द्वारा जारी किए गए इस आदेश को लेकर तहसीलदार-नायब तहसीलदार संघ के साथ साथ राजस्व निरीक्षक व पटवारी संघ ने प्रदेशभर में विरोध किया। शुक्रवार को भोपाल सहित प्रदेश भर के जिलों में पदस्थ तहसीलदारों ने अपने अपने जिला कलेक्टर को मुख्य सचिव व पीएस राजस्व के नाम का एक ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग मानते हुए शासन ने एक लाख रुपए जुर्माने वाला आदेश 8 जनवरी तक निरस्त नहीं किया तो राजस्व अधिकारी हाईकोर्ट की गुहार लगाने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
तहसीलदार संघ के प्रवक्ता एचएस विश्वकर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा को लेकर जब तहसीलदार संघ ने आपत्ति की थी तो मुख्य सचिव ने आश्वस्त किया था कि इसका आदेश जारी नहीं होगा। लेकिन शासन की ओर से यह आदेश जारी हो गया है। यह आदेश तहसीलदारों को हतोत्साहित कर देने वाला है। तहसीलदार व नायब तहसीलदार स्टॉफ और संसाधन की कमी के बावजूद राजस्व विभाग के साथ साथ 33 अन्य विभागों का काम देख रहे हैं। ऐसे में यह आदेश जारी होना सभी राजस्व अधिकारियों को अपमानित करने वाला है।
इस आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त होना चाहिए। नहीं तो राजस्व अधिकारी आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे। यही नहीं बुधवार से प्रदेश भर में पदस्थ राजस्व अधिकारी आंदोलन भी शुरू कर देंगे। भोपाल जिला कलेक्टर सुदाम पी खाडे को तहसीलदारों ने इस संबंध में ज्ञापन शाम करीब 5 बजे सौंपा। इधर कलेक्टर ने इस ज्ञापन को सीएस तक पहुंचाने के लिए अधिकारियों को आश्वस्त भी किया।