दरअसल महाराष्ट्र में सरकार ने लॉकडाउन में छूट देते हुए वाइन शॉप और शराब के ठेके खोलने की अनुमति दी थी लेकिन महाराष्ट्र के कई शहरों में वाइन शॉप के बाहर शराब के शौकीनों की भीड़ इकठ्ठा होने लगी.
मुंबई: लॉकडाउन (Lockdown) के बावजूद राजस्व बढ़ाने की वजह से वाइन शॉप और शराब के ठेके खुलने लगे हैं. लेकिन महाराष्ट्र में लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाने के लिए एक्साइज विभाग ने अनोखा फैसला लिया है. नासिक में शराब खरीदने के लिए वॉट्सऐप पर अप्वाइंटमेंट लेना शुरू किया गया है.
दरअसल महाराष्ट्र में सरकार ने लॉकडाउन में छूट देते हुए वाइन शॉप और शराब के ठेके खोलने की अनुमति दी थी लेकिन महाराष्ट्र के कई शहरों में वाइन शॉप के बाहर शराब के शौकीनों की भीड़ इकठ्ठा होने लगी. ऐसे में सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं किया जा रहा था.
प्रशासन ने महाराष्ट्र के कई जिलों में भीड़ को देखते हुए शराब के ठेके बंद रखने के फैसला किया था. नासिक में भी सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं होने से शराब के ठेके बंद किए गए थे. लेकिन अब एक्साइज विभाग ने पहल कर नासिक के वाइन शॉप और शराब के ठेके खोल दिए हैं. लेकिन नासिक में शराब खरीदने के लिए वॉट्सऐप पर अप्वाइंटमेंट शुरु कि है
नासिक शहर में वाइन शॉप में शराब खरीदने के लिए ग्राहकों को वॉट्सऐप अपॉइंटमेंट लेनी पड़ेगी. इसके लिए नासिक के वाइनशॉप के सामने वॉट्सऐप नंबर दिए गए हैं. इन वॉट्सऐप नंबर पर मोबाइल नंबर के साथ शराब कंपनी का ब्रांड, और सुबह 10 से दोपहर 4 बजे की बीच की अप्वाइंटमेंट लिखकर भेजना होगा.
वॉट्सऐप करने के बाद ग्राहक को वाइन शॉप का मालिक वॉट्सऐप करेगा और अप्वाइंटमेंट देगा. कुछ वाइन शॉप पर मोबाइल एसएमएस सर्विस भी शुरु की गई है. वहीं कुछ वाइन शॉप पर बारकोड स्कैन करके भी बुकिंग की जा रही है. वाइन शॉप पर भीड़ नहीं हो, इस वजह से ये फैसला लिया गया है.
वहीं महाराष्ट्र के नासिक जिले में कोरोना के कहर से प्रभावित अंगूर उत्पादकों की मदद के लिए नासिक की वाइनरी आगे आई है. वह किसानों से बचा हुआ अंगूर खरीदकर विश्व विख्यात वाइन बनाएंगी.
नासिक को भारत की वाइन कैपिटल कहा जाए तो गलत नहीं होगा. दुनिया भर में प्रसिद्ध रेड वाइन सुला समेत कई नामचीन ब्रांड की उम्दा वाइन नासिक में ही बनाई जाती हैं. इसके बाद ये पैक होकर देश विदेश के वाइन प्रेमियों तक पहुंचती है. वाइन बनाने के लिए वाइन ग्रेप्स का इस्तेमाल किया जाता है. नासिक देश भर में अपने मीठे और रसीले अंगूरों के स्वाद के लिए जाना जाता है.
नासिक जिले में छह फीसदी वाइन ग्रेप्स का उत्पादन होता है, जिसे वाइन बनाने में उपयोग किया जाता है. वहीं 94 फीसदी टेबल ग्रेप्स का उत्पादन होता है जो खाने के काम आता है. नासिक जिले में करीब 1.50 लाख लोग अंगूर उत्पादन में जुटे हैं. नासिक जिले में करीब पौने दो लाख एकड़ खेत में इस साल अंगूर की खेती की गई थी.
इसके बाद 70 फीसदी अंगूर एक्सपोर्ट कर दिया गया था लेकिन बाकी 30 फीसदी रह गया, जिसकी कोरोना के चलते घरेलू बाजार में सप्लाई नहीं हो पाई और इसके चलते किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा था. ऐन मौके पर कोरोना का कहर ऐसा फैला कि घरेलू बाजार में ठीक से खपत नहीं हुई. ऐसे में जिन किसानों ने कर्ज लेकर खेती की थी उनके सामने बड़ी दिक्कत हो गई है.
किसानों की परेशानी को समझते हुए नासिक जिले की वाइनरी ने 30 फीसदी में से किसानो से 20 फीसदी टेबल ग्रेप्स खरीदकर उन्हें क्रश कर वाइन बनाने का फैसला किया है ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके.
गौरतलब है कि नासिक जिले में 32 वाइनरी हैं. इनसे हर साल 1.25 करोड़ लीटर वाइन बनाई जाती है. नासिक जिले में 94 फीसदी टेबल ग्रेप्स का और छह फीसदी वाइन ग्रेप्स का उत्पादन होता है.