महाराष्ट्र के पालघर लिचिंग केस में साधुओं का केस लड़ रहे वकील के सहयोगी दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क हादसे में मौत हो गई. ये हादसा बुधवार को मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर हुआ, जब दिग्विजय त्रिवेदी अपनी कार से कोर्ट की ओर जा रहे थे. दिग्विजय त्रिवेदी की मौत पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रवक्ता संबित पात्रा ने सवाल उठाए हैं और जांच की मांग की है.
उन्होंने ट्वीट किया कि पालघर में संतों की हत्या मामले में विश्व हिंदू परिषद के वकील दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क हादसे में मौत हो गई. यह खबर विचलित करने वाली है. उन्होंने आगे कहा कि क्या ये केवल संयोग है कि जिन लोगों ने पालघर मामले को उठाया उनपर या तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमला किया या एफआईआर कराया. खैर ये जांच का विषय है. वहीं, बीजेपी सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे ने भी जांच की मांग की है. उन्होंने ट्वीट किया ये चौंकाने वाला है और इसकी जांच होनी चाहिए. मैं महाराष्ट्र के डीजीपी और मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच के आदेश देने के मांग करता हूं.
वहीं, साधुओं के वकील पीएन ओझा ने कहा कि दिग्विजय त्रिवेदी उनके जूनियर थे. आधिकारिक तौर पर दिग्विजय मामले का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे थे, लेकिन जिस दिन दुर्घटना हुई उस दिन वह इस मामले में शामिल होने के लिए दहानु कोर्ट आ रहे थे. उनका कहना है कि दिग्विजय त्रिवेदी वीएचपी या बीजेपी से नहीं जुड़े थे.
उन्होंने आगे कहा कि मैं इस दुर्घटना के बारे में कुछ नहीं कह सकता. वह एक जूनियर वकील था और वह सीखना चाहता था, इसलिए मैंने उसे अपने अधीन इस मामले में शामिल होने की अनुमति दी थी. हमें दुर्घटना का सही कारण जानने के लिए आरटीओ की रिपोर्ट का इंतजार करना होगा.
कैसे हुआ हादसा
कार वकील दिग्विजय त्रिवेदी चला रहे थे. उन्होंने कार पर नियंत्रण खो दिया और बाईं ओर मुड़ते हुए कार डिवाइडर से जा टकराई. दिग्विजय त्रिवेदी की कुछ देर बाद मौत हो गई, जबकि कार में सवार एक अन्य महिला को गंभीर चोटें आई हैं. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ये हादसा तब हुआ जब वकील दिग्विजय त्रिवेदी दाहनु कोर्ट की ओर जा रहे थे.
गौरतलब है कि कि अप्रैल महीने में पालघर के गड़चिनचले गांव में भीड़ ने दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. भीड़ के हत्थे चढ़े साधु मुंबई के जोगेश्वरी पूर्व स्थित हनुमान मंदिर के थे. ये साधु मुंबई से सूरत अपने गुरु के अंतिम संस्कार में जा रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते पुलिस ने इन्हें हाइवे पर जाने से रोक दिया. फिर गाड़ी में सवार साधु ग्रामीण इलाके की तरफ मुड़ गए, जहां मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए. इस मामले में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. 16-17 अप्रैल की रात जब ये दो साधु अपने ड्राइवर के साथ गांव से गुजर रहे थे, तब लोगों को चोरों के आने का शक हुआ.