Uttarakhand New CM: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की जिंदगी में 115 दिन की चांदनी के बाद ही अंधेरी रात आ गई है। उन्होंने अपने पद से पार्टी हाईकमान को इस्तीफे की पेशकश कर दी है। डबल इंजन के नारे के साथ सूबे की सत्ता में आई बीजेपी ने इस राज्य को लगातार बहुत कम समय में दो दफा राजनीतिक संकट में डाल दिया है। तीरथ सिंह रावत को कोविड मिसमैनेजमैंट के साथ ही महिलाओं को लेकर बेहद सतही बयान के लिये ही याद किया जाएगा। वो बहुत कम दिनों के लिये मुख्यमंत्री रहने का नया रिकॉर्ड भी सूबे की राजनीति दर्ज करने के करीब हैं।
मुख्यमंत्री रावत ने अपना इस्तीफा विधिवत राज्यपाल को सौंपने के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है। वक्त तय होते ही रावत गवर्नर हाउस पहुंचकर आधिकारिक तौर पर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। संघ के एक पदाधिकारी की मानें तो सतपाल महाराज के हिस्से गद्दी आने की प्रबल संभावना बन रही है। महाराज का चेहरा गढ़वाल और कुमाऊं में तो जाना-पहचाना नाम है ही, इसके अलावा कई राज्यों में महाराज की अपनी ‘भक्त मंडली’ भी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार को दिल्ली में तीरथ सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपने इस्तीफे की पेशकश की है। उन्होंने बीते 10 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत की विदाई के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। शपथ लेने के 115 दिन बाद दो जुलाई को उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की। शनिवार को विधायक दल की बैठक होने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार तीरथ सिंह रावत ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिए अपने खत में कहा है कि वे जनप्रतिधि कानून की धारा 191 ए के तहत छह महीने की तय अवधि में चुनकर नहीं आ सकते हैं। तीरथ सिंह रावत ने कहा, ‘मैं छह महीने के अंदर दोबारा नहीं चुना जा सकता। ये एक संवैधानिक बाध्यता है। इसलिए अब पार्टी के सामने मैं अब कोई संकट नहीं पैदा करना चाहता और मैं अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर रहा हूं। आप मेरी जगह किसी नए नेता का चुनाव कर लें।’
रेस में सबसे आगे सतपाल महाराज
तीरथ की विदाई के साथ ही उत्तराखंड में नए सीएम के तौर पर फिर से कई नामों की चर्चा है। पिछली दफा हालांकि पार्टी हाईकमान ने सबको चौकातें हुये तीरथ सिंह रावत को गद्दी सौंप दी थी, लेकिन इस दफा पार्टी ऐसे चेहरे पर ही दांव लगाने के मूड में हो, जिस चेहरे के भरोसे अगले चुनाव में भी पार्टी जा सके। इस बीच इस तरह की चर्चा भी है कि सतपाल महाराज को दिल्ली तलब किया गया है और पार्टी उनके चेहरे पर सूबे में दांव खेल सकती है। सूत्रों का कहना है कि संघ को भी महाराज के नाम पर आपत्ति नहीं है।
महाराज तीरथ के मुकाबले मंझे हुये नेता हैं और वो सूबे में बीजेपी का चेहरा बनने पर आगामी विधानसभा चुनावों में भी पार्टी को फायदा पहुंचा सकते हैं। संघ के एक पदाधिकारी के मुताबिक पार्टी की ओर से पर्यवेक्षक नरेंद्र तोमर शनिवार को नये नाम की घोषणा कर सकते हैं। पदाधिकारी ने कहा कि नाम लगभग तय है और महाराज के नाम के सवाल पर उनका जवाब था- ‘महाराज उत्तराखंड में कद्दावर नेता तो हैं ही, इसके अलावा देश के कई राज्यों में उनके अपने समर्थक भी हैं। वो चीजों को बेहतर समझते हैं।’
कहा तो यह भी जा रहा है कि तीरथ की ताजपोशी के तुरंत बाद ही पार्टी को इस बात का अहसास हो गया था कि उनके भरोसे अगला विधानसभा चुनाव नहीं जीता जा सकता और इसीलिये तीरथ सिंह को चुनाव ही नहीं लड़वाया गया।
हरीश रावत ने ले ली चुटकी
इधर सूबे के राजनीतिक संकट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुटकी लेते हुये एक वीडियो जारी करते हुये कहा- ‘उत्तराखंड के सम्मुख एक गंभीर वैधानिक/संवैधानिक उलझन खड़ी हो गई है और भाजपा की समझ में यह नहीं आ रहा है कि वो किस ऑप्शन का चयन करें! राष्ट्रपति शासन या तीरथ सिंह रावत से इस्तीफा दिलवाकर या उनको फिर से मुख्यमंत्री बनाना। उसके विषय में भाजपा के नेतृत्व को शंका है कि कोर्ट शट डाउन कर सकता है कि क्योंकि कानून की भावना को निरस्त करने के लिए आप कोई कदम नहीं उठा सकते हैं, इसको कानून की मूल भावना को निरस्त करना माना जाएगा और तीसरा उपाय यह है कि आप विधानसभा भंग करें, लेकिन उसमें भी कोर्ट सामने आएगा। क्योंकि आप अपनी राजनैतिक उलझन से बचने के लिए पूरे राज्य को उलझन में नहीं डाल सकते।’
इतना ही नहीं अपनी पोस्ट में हरीश रावत ने आगे विपक्षियों पर तंज कसते हुये लिखा- ‘मुख्यमंत्री जी लगातार दिल्ली में हैं, कुछ मौसमी तोते भी दिल्ली में आ गये हैं और राज्य के अंदर शासन व्यवस्था बिल्कुल ठप पड़ी हुई है। राज्य के लोगों की समझ में यह नहीं आ रहा है कि डबल इंजन की कैसी परिभाषा है और कैसी माया है?’