बांग्‍लादेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस भाषण पर टिप्पणी कर फंसे थरूर, बाद में मांगनी पड़ी माफी

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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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नई दिल्‍ली। वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर (Shashi Tharoor) अक्‍सर अपने बयानों से सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन इस बार बांग्लादेश में प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के एक भाषण पर टिप्पणी करना भारी पड़ गया है। इस टिप्पणी के लिए थरूर (Shashi Tharoor) को माफी मांगनी पड़ी है। आइये जानते हैं कि आखिर में प्रधानमंत्री मोदी ने क्‍या कहा था और इस बयान पर थरूर ने क्‍या टिप्‍पणी की थी।

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस की स्वर्ण जयंती और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित समारोह में अपने भाषण में बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह करने की बात कही थी। प्रधानमंत्री के भाषण पर शशि थरूर ने आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया कि सब जानते हैं कि बांग्लादेश को किसने आजाद कराया है।

थरूर को लगा कि पीएम मोदी ने बांग्लादेश की आजादी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के योगदान का जिक्र ही नहीं किया। हालांकि जब उन्हें पता चला कि प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने इंदिरा गांधी का जिक्र किया था तो उन्होंने अपने ट्वीट पर तुरंत माफी भी मांग ली। कांग्रेस नेता ने लिखा… सॉरी! जब मैं गलत होता हूं तो इसको स्वीकारने में मुझको बुरा नहीं लगता है।

नेशनल परेड स्क्वायर पर बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ण जयंती पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक है। उस वक्‍त मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी। मैंने अपने कई साथियों के साथ बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था और समर्थन में गिरफ्तारी दी थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आज बंगबंधु के योगदान को याद करने का दिन है। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के लिए भारत के कोने-कोने से समाज के हर वर्ग ने समर्थन दिया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीजी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पूरी दुनिया जानती है। उसी दौर में छह दिसंबर 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि हम इतिहास को नई दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं।

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