भीड़भाड़ वाले इलाकों में कोरोना से बचाव में सर्जिकल मास्क असरदार नहीं: IIT भुवनेश्वर

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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई है। कोरोना के मामले नित नए रिकॉर्ड छूते जा रहे हैं। हालांकि, सरकार ने भी इसे रोकने के लिए देशभर में प्रभावी कदम उठाए हैं। कोरोना से बचाव के लिए मास्क और हाथ धोना सबसे आवश्यक कदम हैं। वहीं वैक्सीन लगवाना भी कोरोना से बचाव के लिए एक कारगर कदम है। आईआईटी भुवनेश्वर के एक अध्ययन में सामने आया है कि भीड़भाड़ भरी जगहों में और सामान्य बातचीत के दौरान सर्जिकल मास्क पूरी तरह से प्रभावकारी नहीं होता है। ऐसी स्थिति में ड्रॉपलेट का लीकेज हो सकता है, जो कोरोना का कारण बन सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाले मास्क और फेस शील्ड सांस लेने के दौरान बाहर निकलने वाले ड्रॉपलेट से बचाव करने में सक्षम नहीं होते हैं।

इस अध्ययन को आईआईटी भुवनेश्वर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वेणुगोपाल अरुमुरु और उनकी टीम ने किया है। इस दौरान सांस लेने के पैटर्न का अध्ययन किया गया, जिसमें शांत खड़े रहने के दौरान सांस लेने और वाकिंग के दौरान स्वस्थ वयस्क द्वारा सांस लेने की स्टडी की गई। स्टडी में सामने आया कि छोटे ड्रॉपलेट (जिनका डायमीटर 10 माइक्रोमीटर से कम होता है) सांस लेने के दौरान बाहर निकल जाते हैं और पांच सेकेंड के भीतर चार फीट तक ट्रेवल कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में सर्जिकल मास्क सामान्य बातचीत के दौरान प्रभावकारी नहीं होता है। इस स्टडी में सलाह दी गई है कि इस स्थिति में सर्जिकल मास्क का प्रयोग न करें। वहीं अस्पतालों में सर्जिकल मास्क और फेश शील्ड को साथ में लगाना भी ज्यादा बेहतर नहीं है। ऐसी स्थिति में ड्रॉपलेट लीकेज की संभावना रहती है

स्डडी में कहा गया है कि घर में बने दो लेयर के कॉटन मास्क भी प्रभावशाली नहीं होते है। पांच लेयर का मास्क लीकेज रोकने के लिए सबसे प्रभावकारी है। रिपोर्ट में कहा गया कि बातचीत के दौरान चार फीट की फिजिकल डिस्टेंसिंग जरूरी है। इसके अलावा अकेले फेस शील्ड पहनने से पूरी तरह बचाव नहीं होता है।

डॉ. वेणुगोपाल अरुमुरु ने कहा कि अब तक किए गए अध्ययन में कफ और छींकने के द्वारा फैलने वाले वायरस को लेकर अध्ययन किया गया था, लेकिन सांस के द्वारा वायरस के फैलाव के बारे में स्टडी नहीं की गई थी। ऐसे में यह स्टडी काफी कारगर साबित होगी

आईआईटी भुवनेश्वर के निदेशक प्रो. आर.वी.राजकुमार ने पूरी टीम को इस अध्ययन के लिए धन्यवाद दिया। आईआईटी भुवनेश्वर ने कोरोना से मुकाबले के लिए कई तकनीक ईजाद की है और कई महत्वपूर्ण अध्ययन किए हैं।

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