Ram Navami 2021: WhatsApp Status, Instagram Reels, Facebook Quotes Download Shri Ram Navami 2021 Whatsapp Video Status Download : श्री राम नवमी व्हाट्सएप वीडियो स्टेटस डाउनलोड : श्री राम नवमी का पर्व भगवान श्री राम के जन्म दिन “श्री राम जन्मोत्सव 2021” के रूप मनाएंगे. इसके लिए आप यदि अपनों को इस शुभ दिन पर विश करना हो तो यहाँ से Shri Ram Navami 2021 Whatsapp Video Status Download या श्री राम के जन्म दिन व्हाट्सएप वीडियो स्टेटस डाउनलोड “श्री राम जन्मोत्सव 2021 व्हाट्सएप वीडियो स्टेटस डाउनलोड” करके अपनों की इस शुबहा दिन पर अनेको शुभकामनाए दे सकते है.
Shri Ram Navami 2021 Whatsapp Video Status Download
Shri Ram Navami 2021 Whatsapp Video Status :– R U Looking For Ram Navami 2021 Whatsapp Videos Status , So Hare U Will Finds Whstapp Status Videos For Shri Ram Navami. Wednesday, 21 April Rama Navami 2021 In India.
Sri Rama Navami 2021: Wishes, WhatsApp Messages, Status Message, Images
राम जिनका नाम है,
अयोध्या जिनका धाम है।
ऐसे रघुनंदन आपको,
हमारा प्रणाम है।।
श्री रामचंद्र कृपालु भज
मन हरण भवभय दारुणम्।
नवकंज लोचन, कंज मुख,
कर कंज, पद कंजारुणम्।
राम नवमी की हार्दिक बधाई!-
श्री राम नवमी व्हाट्सएप स्टेटस डाउनलोड
Ram Navami 2021 Whatsapp Status Download
भगवान राम का आशीर्वाद
आप पर आज और हमेशा बना रहे
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
Ram Navami 2021 Whatsapp Video Download
राम नाम का फल है मीठा, कोई चख देख ले!
खुल जाते हैं भाग, कोई पुकार के देख ले!
क्रोध को जिसने जीता है, जिनकी भार्या सीता हैं !
जो भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण के हैं भ्राता, जिनके चरणों में हैं हनुमंत लला !
वो पुरुषोत्तम राम हैं, भक्तो में जिनके प्राण हैं !
ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम को, कोटि कोटि प्रणाम हैं !!
रामनवमी की शुभकामनाएं
Shri Ram Navami 2021
भजु दीनबंधु दिनेश दानव, दैत्य वंश-निकन्दनं ।
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ-नन्दनं ।।
नवमी तिथि मधुमास पुनीता,
शुक्ल पक्ष अभिजीत नव प्रीता,
मध्य दिवस अति शीत न घामा,
पवन काल लोक विश्रामा !!!
Shri Ram Navami 2021 का शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि आरंभ: 21 अप्रैल, रात्रि 00:43 बजे से
नवमी तिथि समापन: 22 अप्रैल, रात्रि 00:35 बजे तक
पूजा का मुहूर्त: प्रात: 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक
पूजा की कुल अवधि: 02 घंटे 36 मिनट
रामनवमी मध्याह्न का समय: दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर
राम जन्म कथा
हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी [4] के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था।
आदि राम
कबीर साहेब जी आदि राम की परिभाषा बताते है की आदि राम वह अविनाशी परमात्मा है जो सब का सृजनहार व पालनहार है। जिसके एक इशारे पर धरती और आकश काम करते हैं जिसकी स्तुति में तैंतीस करोड़ देवी-देवता नतमस्तक रहते हैं। जो पूर्ण मोक्षदायक व स्वयंभू है।[5]
“एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा, एक राम का सकल उजियारा, एक राम जगत से न्यारा”।।
रामनवमी पूजन
रामनवमी के त्यौहार का महत्व हिंदु धर्म सभ्यता में महत्वपूर्ण रहा है। इस पर्व के साथ ही माँ दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है। हिन्दू धर्म में रामनवमी के दिन पूजा अर्चना की जाती है। रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और लेपन चढ़ाया जाता है, इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बाद आरती की जाती है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते है।[6]
रामनवमी का महत्व
यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है। हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रूप में मनाते हैं एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है। [7]
रामनवमी का इतिहास
राम नवमी का त्यौहार हर साल मार्च – अप्रैल महीने में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम नवमी का इतिहास क्या है? राम नवमी का त्यौहार पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है। राम नवमी का त्यौहार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।[8]
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं लेकिन बहुत समय तक कोई भी राजा दशरथ को संतान का सुख नहीं दे पायी थी। जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराने को विचार दिया। इसके पश्चात् राजा दसरथ ने श्रृंगी ऋषि से यज्ञ कराया।[9]
यज्ञ समाप्ति के बाद महर्षि ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। खीर खाने के कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं। ठीक 9 महीनों बाद राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने राम को जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। भगवान राम का जन्म धरती पर दुष्ट प्राणियों को खत्म करने के लिए हुआ था।[9]