नई दिल्लीः देश की सबसे प्राचीन पार्टी का गौरव रखने वाली कांग्रेस ने खुद सत्ता में रहते हुए लिए गए कई अदूरदर्शी फैसले लिए हैं. उनकी ओर की गई कई गलतियों का भुगतान देश आज तक कर रहा है. इसके बावजूद मौजूदा केंद्र सरकार की हर नीति पर केवल राजनीति के तहत उंगली उठाने की कोशिश अब कांग्रेस के लिए फांस बनती जा रही है.
तीन ट्रस्ट की होगी जांच
पिछले दिनों सुर्खियों में रहा राजीव गांधी फाउंडेशन अब जांच के दायरे में है. गृहमंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अंतरमंत्रालयी समिति का गठन किया है. प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक इस समिति के प्रमुख होंगे. यह समिति राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की भी जांच करेगी.
पैसे लेकर सरकार में ठेके देने का आरोप
ट्रस्ट पर आरोप है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2005-2008 के बीच पीएम राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा ट्रासंफर किया गया. भाजपा का कहना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई कॉर्पोरेट से बड़ी रकम ली है. इसके बदले में सरकार ने कई ठेके दिए हैं
मनी लॉन्ड्रिंग, IT एक्ट के तहत होगी जांच
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को इस बारे में जानकारी दी है. अधिकारी के बताए गए अनुसार इस जांच में मनी लॉड्रिंग एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट, विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 एक्ट के नियमों के उल्लंघन की जांच की जाएगी. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विजन और सपनों को पूरा करने के नाम पर उनके नाम से इस फाउंडेशन की शुरुआत 21 जून 1991 को की गई थी.
ट्रस्टी में शामिल हैं कई कांग्रेसी नाम
राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, डॉ. शेखर राहा, प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन, डॉक्टर अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा भी फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं.