पीएम मोदी बोले- पानी पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण, जल संरक्षण के लिए प्रयास जरूरी

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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल के दूसरे ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं। मासिक रेडियो कार्यक्रम का यह 74वां एपिसोड है। पीएम मोदी ने कहा कि जल हमारे लिए जीवन और आस्था है। पानी, परसा से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है और इसके संरक्षण के लिए हमें प्रयास करने की जरूरत है। मन की बात कार्यक्रम को रेडीयो के अलवा पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल, फेसबुक पेज और मोदी ऐप के जरिए भी इसे सुना जा सकता है। यह कार्यक्रम हर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित किया जाता है।

Mann Ki Baat Live Updates:

– जब हम साइंस की बात करते हैं तो कई बार इसे लोग फिजिक्स-केमिस्ट्री या फिर लैब्स तक ही सीमित कर देते हैं, लेकिन साइंस का विस्तार इससे कहीं ज्यादा है और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में साइंस की शक्ति का बहुत योगदान है: पीएम मोदी

– हम अपने सपनों के लिए किसी दूसरे पर निर्भर रहें, ये बिलकुल ठीक नहीं है। जो जैसा है वो वैसा चलता रहे, रविदास जी कभी भी इसके पक्ष में नहीं थे। आज हम देखते हैं कि देश का युवा भी इस सोच के पक्ष में बिलकुल नहीं है: पीएम मोदी

– माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा संत रविदास जी को नाम के बिना पूरी नहीं होती। रविदास जी कहते थें- करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस। कर्म मानुष का धम्र है, सत् भाखै रविदास। अर्थात हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है।

– पानी के संरक्षण केलिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए, 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी है। अब से कुछ दिन बाद ज​ल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल शक्ति अभियान ‘कैच द रेन’ शुरू किया जा रहा है: पीएम मोदी

– इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है। पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी है: पीएम मोदी

– जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती। ये नाम है संत रविदास जी का। माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती भी होती है: पीएम मोदी

– कल माघ पूर्णिमा का पर्व था। माघ महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्रोत्रों से जुड़ा हुआ माना जाता है। माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है: पीएम मोदी

इससे पहले 15 फरवरी को पीएम ने मन की बात के लिए लोगों से अलग-अलग विषयों पर उनके सुझाव मांगे थे। पीएम ने ट्वीट किया था, ‘प्रेरक उदाहरणों के माध्यम से, जनवरी के ‘मन की बात’ ने कला, संस्कृति, पर्यटन और कृषि नवाचार से लेकर विविध विषयों पर प्रकाश डाला। फरवरी में कार्यक्रम के लिए ऐसे और प्रेरक उपाख्यान सुनना पसंद करेंगे, जो 28 तारीख को होंगे।’ प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को हिंदी या अंग्रेजी में अपना संदेश रिकॉर्ड करने के लिए टोल-फ्री नंबर भी साझा किया था।

जनवरी में अंतिम मन की बात में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ चल रहे देशव्यापी टीकाकरण अभियान का जिक्र करते हुए कहा था कि संकट के समय में भारत दुनिया की सेवा इसलिए कर पा रहा है, क्योंकि आज वह दवाओं और टीके को लेकर आत्मनिर्भर है। उन्होंने कहा कि यही सोच आत्मनिर्भर भारत अभियान की भी है। भारत, जितना सक्षम होगा, उतनी ही अधिक मानवता की सेवा करेगा, उतना ही अधिक लाभ दुनिया को होगा।

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