One Nation One Election: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार की गई एक राष्ट्र एक चुनाव रिपोर्ट (One Nation One Election Report) को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की मंजूरी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की दिशा में एक और कदम है। संभावना है कि यह विधेयक भारत की संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। कैबिनेट ने प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी।”
मंत्री ने कहा, “पहले चरण में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव होंगे तथा दूसरे चरण में स्थानीय निकाय (ग्राम पंचायत, ब्लॉक, जिला पंचायत) और शहरी स्थानीय निकाय (नगर पालिका और नगर निगम) चुनाव होंगे।”
One Nation One Election पर दावे और आरोप का दौर जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation One Election) की वकालत करते रहे हैं और कहते हैं कि एक ही चुनाव कराने से देश के खजाने पर बोझ कम होगा। इस बीच, कांग्रेस और विपक्ष के कई अन्य दल इस कदम का विरोध करते रहे हैं और कहते हैं कि एक ही चुनाव से केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारों का भाग्य तय करना भारत संघ के ढांचे के संघीय सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।
विपक्ष की ओर से यह भी आरोप लगाया गया है कि वित्तीय चिंताओं के बजाय, भाजपा एक राष्ट्र एक चुनाव लागू करने की इच्छुक थी, क्योंकि उसकी योजना केंद्र के साथ-साथ राज्यों में भी एक साथ सत्ता हथियाने की थी।
तमाम विरोध के बावजूद मोदी सरकार ने एक राष्ट्र एक चुनाव प्रस्ताव की व्यवहार्यता की जांच के लिए कोविंद पैनल का गठन किया था। यह विचार नया नहीं है। इसे 1980 के दशक में प्रस्तावित किया गया था। 1990 के दशक में भी इसका उल्लेख किया गया था।
मई 1999 में न्यायमूर्ति बी.पी. जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में कहा था कि “हमें उस स्थिति पर वापस जाना होगा जहां लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे”।