Asaduddin Owaisi Jai Palestine: 25 जून को 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन असदुद्दीन ओवैसी ने संसद सदस्य के रूप में शपथ ली। उनकी इस शपथ ने ‘जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन’ के नारों के कारण संसद में एक नई चर्चा को जन्म दिया।
असदुद्दीन ओवैसी का शपथ ग्रहण: एक नज़दीकी दृष्टिकोण
प्रोटेम स्पीकर ने असदुद्दीन ओवैसी को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने ‘बिस्मिल्लाह’ कहकर सांसद पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण के बाद, ओवैसी ने अपने पारंपरिक नारे ‘जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना’ के साथ इस बार ‘जय फिलिस्तीन’ भी जोड़ा, जिससे एक नया विवाद खड़ा हो गया।
ओवैसी की शपथ का वीडियो उपलब्ध है, जिसमें उन्हें शपथ के तुरंत बाद यह कहते सुना जा सकता है, “जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन। तकबीर… अल्लाह हू अकबर।”
भाजपा सांसदों का हंगामा: कारण और प्रभाव
ओवैसी के इस बयान के बाद संसद में भाजपा सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। सांसद शोभा करांदलाजे ने इस मुद्दे को उठाते हुए स्पीकर और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ओवैसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि ओवैसी को पुनः शपथ लेनी चाहिए, क्योंकि उनका यह बयान संसद के नियमों के खिलाफ है।
ओवैसी के नारे का राजनीतिक और सामाजिक महत्व
ओवैसी के ‘जय फिलिस्तीन’ के नारे ने न केवल संसद में, बल्कि पूरे देश में एक नई बहस को जन्म दिया है। यह नारा फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाने का प्रतीक है, जो भारत और इजरायल के रिश्तों के संदर्भ में एक संवेदनशील मुद्दा है।
राजनीतिक दृष्टिकोण
राजनीतिक दृष्टि से, ओवैसी का यह बयान उनकी पार्टी AIMIM की विचारधारा और उनके समर्थकों के विचारों को दर्शाता है। यह नारा भारतीय मुस्लिम समुदाय के बीच उनकी लोकप्रियता को बढ़ा सकता है, जो फिलिस्तीन के मुद्दे पर भावुक हैं।
सामाजिक दृष्टिकोण
सामाजिक दृष्टि से, ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा एक बड़ी संख्या में भारतीयों के बीच समर्थन और विरोध दोनों को उत्पन्न कर सकता है। यह नारा भारतीय समाज में धार्मिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकता है।
ओवैसी का जवाब और स्पष्टीकरण
ओवैसी ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनका नारा किसी के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह उनके व्यक्तिगत विश्वास और विचारधारा का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा है और उनका यह नारा संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है।
लोकसभा के नियम और शपथ ग्रहण
लोकसभा के नियमों के अनुसार, शपथ ग्रहण के दौरान किसी भी सदस्य को शपथ के शब्दों में बदलाव करने की अनुमति नहीं है। हालांकि, शपथ ग्रहण के बाद के वक्तव्य व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का हिस्सा होते हैं, और इन पर कोई स्पष्ट नियम नहीं है। ओवैसी के ‘जय फिलिस्तीन’ के नारे के बाद इस मुद्दे पर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है कि क्या सांसदों को शपथ ग्रहण के बाद अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति होनी चाहिए या नहीं।