जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने साल के आखिरी दिन पाकिस्तान की नापाक हरकतों का पर्दाफाश किया है। डीजीपी सिंह ने बताया कि, ‘2018 और 2019 की अपेक्षा इस साल घाटी में कम आतंकी घटनाएं हुई हैं। हालांकि 2019 की तुलना में इस साल स्थानीय युवाओं के आतंकी संगठन में शामिल होने की संख्या में इजाफा हुआ है।’ हालांकि, सकारात्मक पहलू यह है कि उनमें से 70 प्रतिशत या तो समाप्त हो गए या गिरफ्तार कर लिए गए।
जम्मू-कश्मीर में इस साल आतंकी घटनाओं में तेजी से कमी नजर आई है। इस साल पाकिस्तान की ओर से अधिकतर घुसपैठ की घटनाएं नाकाम हुई हैं। दूसरी ओर सुरक्षाबलों की ओर से चलाए जा रहे ऑपरेशन ऑलआउट से घाटी से आतंकियों का सफाया जारी है। कुल 100 से अधिक ऑपेरशन हुए, इनमें से 90 कश्मीर हुए। इन ऑपरेशन में कुल 225 आतंकी मार गिराए गए हैं, जिसमें 46 टॉप कमांडर भी शामिल हैं। आज हर तंज़ीम का टॉप कमांडर मारा गया है। लेकिन अभी भी वहां के स्थानीय युवाओं का आतंकी संगठन में शामिल होने की घटनाओं में बढ़ौत्तरी हुई। है।
पाकिस्तान की ओर से जारी आतंकियों गतिविधियों पर बात करते हुए डीजीपी ने बताया कि घुसपैठ की कोशिशें नाकाम होने के बाद पाक को स्थानीय आतंकियों पर निर्भर होना पड़ा है। ऐसे में उन्होंने इनके पास तक हथियार विस्फोटक सामग्री और नकदी सप्लाइ करने के लिए ड्रोन का सहारा लिया जिन्हें सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया। सिंह ने बताया कि जम्मू क्षेत्र में दर्जन भर आतंकी सक्रिय थे, जिनकी संख्या अब घटकर तीन रह गई है। फिलहाल ये आतंकी अभी किश्तवाड़ जिले में छिपे हुए हैं जिन्हें ट्रैक किया जा रहा है।