आज से ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर से प्रसिद्ध विश्व रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। इस यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर किया जाता है।
इस यात्रा का वापसी संबंधित माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन होती है। इस अवसर पर, जगन्नाथ देव के साथ ही उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथ यात्रा भी निकाली जाती है।
इस यात्रा में एक अद्वितीय बात यह है कि इतनी अधिक संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शाई जाती है। हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि इस यात्रा में श्रद्धालुओं की ऐसी भीड़ क्यों देखी जाती है।
क्यो भगवान का रथ खींचेते है लोग
- जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा दोनों दिव्य मूर्तियों की स्थापना की गई है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सुभद्रा ने एक बार अपने भाई श्रीकृष्ण और बलराम से द्वारिका दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की थी। इसे पूरा करने के लिए, वे तीनों भगवानों के रथ पर सवार होकर द्वारका नगर की यात्रा पर निकले, और इससे पहले से ही रथयात्रा की परंपरा शुरू हुई।
- जान लें कि उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर चार पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। यहां यात्री देश-विदेश से आकर इस यात्रा में भाग लेते हैं।
- इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ लगभग ढाई से तीन किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर जाते हैं, जिसे उनकी मौसी का घर माना जाता है।
- जगन्नाथ जी का रथ, जो 832 लकड़ी के टुकड़ों से बना है, 16 पहियों वाला होता है और इसकी ऊँचाई 13 मीटर तक होती है।
- इसकी रंगत लाल और पीली होती है। गरुड़ध्वज, कपिध्वज, नंदीघोष – ये भगवान जगन्नाथ के रथ के नाम हैं। रथ का ध्वजा, जिसे त्रिलोक्यवाहिनी भी कहा जाता है, उसे खींचने के लिए शंखचूड़ नामक रस्सी का उपयोग किया जाता है। भगवान जगन्नाथ रथ के संरक्षक भगवान विष्णु के वाहन पक्षीराज गरुड़ हैं।
- भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के पीछे एक मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई और बहन के साथ रथ पर बैठकर जनता के हाल-चाल जानने के लिए निकलते हैं।
- जगन्नाथ रथ यात्रा के समय ग्रहों की इस अनूठी चाल मानसून के आगमन का प्रतीक मानी जाती है। यही कारण है कि जगन्नाथ यात्रा को खास बनाता है।
- कहा जाता है कि रथ यात्रा के दौरान जो भी रथ खींचता है, वह हमेशा खुश रहता है। इसीलिए भगवान के रथ के आसपास अधिक संख्या में श्रद्धालुओं को देखा जाता है।
- जगन्नाथ भगवान के रथ की रस्सी को छूना शुभ माना जाता है, क्योंकि भगवान खुद ही रथ के अंदर निवास करते हैं।