नई दिल्लीः चीन के खिलाफ अब सरकार ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इसकी शुरुआत भी भारतीय रेलवे ने की है, जिसकी एक सहयोगी कंपनी ने चीनी कंपनी से अपना 471 करोड़ रुपये का करार खत्म कर लिया है. गलवान घाटी में 20 सैनिकों के शहीद से होने से पूरे देश में चीन के खिलाफ काफी गुस्सा है और बायकॉट चीन का नारा हर जगह बुलंद हो रहा है.
2016 में हुआ था करार
भारतीय रेलवे के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (DFCCIL) ने बीजिंग नेशनल रेलवे रसिर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशंस ग्रुप कंपनी लिमिटेड से 2016 में एक करार किया था. इसके तहत कानपुर और दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन के सेक्शन के बीच 417 किमी लंबे रेल ट्रैक पर सिग्नल सिस्टम लगाना था.
रेलवे ने कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे खंड पर सिग्नल व दूरसंचार के काम में धीमी प्रगति के कारण चीन की एक कंपनी का ठेका रद्द करने का निर्णय लिया है. मालगाड़ियों की आवाजाही के लिये समर्पित इस खंड ‘ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ के नाम से जाना जाता है. रेलवे ने कहा कि कंपनी को 2019 तक काम पूरा कर लेना था, लेकिन अभी तक वह सिर्फ 20 फीसदी ही काम कर पायी है.
अधिकारियों ने कहा कि खराब प्रदर्शन और समय पर परियोजना को पूरा करने में असमर्थता के कारण अनुबंध को समाप्त करने का कार्यान्वयन एजेंसी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने निर्णय लिया. प्रक्रिया शुरू करने के लिये डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने पहले ही परियोजना की वित्त पोषण एजेंसी विश्व बैंक के पास आवेदन किया है.
पीटीआई-भाषा ने विश्व बैंक को एक मेल भेजकर इस मुद्दे पर टिप्पणी मांगी है और जवाब का इंतजार है. चीन की इंजीनियरिंग कंपनी को सौंपे गये कार्यों में 417 किलोमीटर के खंड के लिये सिग्नलिंग, दूरसंचार और संबंधित कार्यों के डिजाइन, निर्माण, आपूर्ति, परीक्षण और कमिशन शामिल थे.
अधिकारियों ने कहा कि प्रदर्शन के मुद्दों के अलावा, चीन की कंपनी ने अनुबंध संबंधी शर्त जैसे इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के लॉजिक डिजाइन के अनुसार तकनीकी दस्तावेज प्रस्तुत करने में अनिच्छा दिखायी थी. उन्होंने कहा कि परियोजना स्थल पर इंजीनियर या अधिकृत कर्मी नहीं थे, जो एक गंभीर चिंता का विषय था. कंपनी स्थानीय एजेंसियों के साथ टाई-अप करने में विफल रही, जिसने काम की भौतिक प्रगति को नुकसान पहुंचाया
अधिकारियों ने कहा, “हर संभव स्तर पर उनके साथ बार-बार बैठक के बावजूद प्रगति में कोई सुधार नहीं हुआ है.”
सरकार ने BSNL को दिया ये आदेश
इसके साथ ही टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने बीएसएनएल की फोर जी (4G) सेवाओं में चाइनीज उपकरणों के प्रयोग पर निर्भरता कम करने का फैसला किया है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय ने बीएसएनएल को निर्देश दिया है कि सुरक्षा कारणों से वह चाइनीज उपकरणों का इस्तेमाल कम करें.
सूत्रों के मुताबिक, विभाग ने टेंडर पर दोबारा से काम करने का फैसला लिया है. इसके अलावा दूरसंचार विभाग ने निजी टेलीकॉम कंपनियों से भी चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों पर निर्भरता को कम करने के लिए कहा है. सूत्रों का कहना है कि चीनी कंपनियों द्वारा बनाए जाने उपकरणों की नेटवर्क सिक्योरिटी हमेशा संदिग्ध होती है.
वहीं व्यापारिक संगठन कैट ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार और भारतीय वस्तुओं को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय अभियान को और अधिक तेज करने का फैसला किया है. संगठन ने 500 सामानों की सूची तैयार की है, जिससे चीन से नहीं मंगाने का फैसला लिया गया है.