किसान आंदोलन बना मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा!

Khabar Satta
5 Min Read

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर पिछले 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है। समूचे देश और दुनिया की नजरें इस समय दिल्ली की तरफ टिक गईं हैं। सभी के जेहन में एक ही सवाल है कि किसान आंदोलन को लेकर अब आगे क्या होने वाला है? एक बात तो अब साफ है कि सरकार के लिए मामला केवल कृषि कानूनों तक ही सीमित नहीं है। सरकार के लिए अब किसानों का यह प्रर्दशन नाक का सवाल बनता जा रहा है। मतलब, कुछ भी हो सकता है।

पानी की बौछारें, आंसू गैस भी किसानों को नहीं डरा सके
कृषि कानून के खिलाफ धरना देने के लिए दिल्‍ली चलो मार्च के तहत पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान दिल्ली की तरफ पैदल कूच कर रहे हैं। हरियाणा में कई जगहों पर किसानों को रोकने की तमाम कोशिशें की गई हैं। न मानने पर पानी की बौछारें, आंसू गैस के गोले भी छोड़े जा रहे हैं और सड़कें खोद दी गई हैं। इसके बाद भी दिल्ली को बढ़ रहे किसानों के हौंसले कम नहीं हुए। मोदी और उनके सलाहकार आज जब अपने साढ़े छह साल के दौर की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। यह बात को स्पष्ट है कि जन-आंदोलन के दबाव में किसी एक भी मुद्दे पर समझौते का अर्थ यही होगा कि उन तमाम आर्थिक नीतियों की धारा ही बदल दी जाए जिन पर सरकार पिछले छह वर्षों से लगी हुई थी और जिनके जरिए वह फाइव ट्रिलियन इकॉनामी की ताकत दुनिया में क़ायम करना चाहती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार की आगे की रणनीति क्या होगी।

किसानों के मामलें के इलावा भी मोदी सरकार के सामने कई बड़े सकंट
वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि जब मोदी सरकार ने कृषि कानून का लागू करने का फैसला किया तो क्यों एक बार भी बातचीत के लिए किसानों को बुलाने की जरूरत भी नहीं समझी। वैसे भी देखा जाए तो किसानों के मामलें के इलावा मोदी सरकार के सामने कई ऐसे दूसरे संकट भी है जो सुलझने का नाम नहीं ले रहे हैं। चीन लद्दाख में अपना धरना खत्म नहीं करता दिख रहा है, कोरोना वायरस का प्रकोप शांत नहीं हो रहा और अर्थव्यवस्था लगातार छह तिमाहियों से गिरावट की राह पर बनी हुई है। राजनीतिक, आर्थिक, सामरिक और नैतिक मोर्चों पर मोदी सरकार के लिए मुश्किलें चूंकि बढ़ चुकी हैं इसलिए किसान आंदोलन उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि किसानों को मनाने के लिए मोदी सरकार क्या हल निकालते हैं।

सरकार बता रही है कृषि बिल को अहम कदम
दूसरी तरफ अगर सरकार की मानें तो वह कृषि सुधार को एक अहम कदम बता रही है, लेकिन किसान संगठन इसके खिलाफ हैं। पीएम नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी खरीद जारी रहेगी, लेकिन किसानों को इस पर विश्वास नहीं हो रहा है। किसानों को लग रहा है सरकार उनकी कृषि मंडियों को छीनकर कॉरपोरेट कंपनियों को देना चाहती है। इसी के विरोध में किसान पिछले दो महीने से पंजाब में आंदोलन कर रहे हैं और अब वे दिल्ली आकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक भारत बंद 
आपकों बता दें कि केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आज किसानों ने भारत बंद बुलाया है। मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक भारत बंद के तहत देशभर में चक्का जाम रहेगा। हालांकि कई राज्यों में सुबह से ही भारत बंद का असर दिख रहा है। ओडिशा में आज  सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। सरकारी कार्यालयों को बंद करने का निर्णय भारत बंद के कारण संचार व्यवस्था प्रभावित होने की संभावना के मद्देनजर लिया गया है। बता दें कि किसानों के भारत बंद को  कांग्रेस सहित 20 राजनीतिक पार्टियों ने किसानों के बंद को समर्थन देने की घोषणा की है।

Share This Article
Follow:
खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *