नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की रफ्तार यदि इस महीने के अंत तक नहीं थमी, तो स्कूलों के नौवीं से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम में पिछले साल जैसी कटौती फिर हो सकती है। हालांकि अभी तक पूरा पाठ्यक्रम पढ़ाने की योजना है। बावजूद इसके कोरोना की रफ्तार पिछले हफ्ते से जिस तरह तेज हुई और स्कूल बंद होने का सिलसिला शुरू हुआ है, उसे देखते हुए इस मुद्दे पर गंभीरता से मंथन शुरू हो गया है। शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। छात्रों को ऑनलाइन कितना पाठ्यक्रम पढ़ाया जा सकता है, इस पर भी मंथन हो रहा है।
शिक्षा मंत्रालय में बैठकों का दौर, सीबीएसई और एनसीईआरटी को नजर रखने के निर्देश
संक्रमण की स्थिति को देखते कोई भी फैसला इस महीने के अंत तक ही लिया जाएगा। इसके साथ ही सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं इस बार तय समय पर ही कराने की योजना बनाई जा रही है, ताकि अगले साल इन परीक्षाओं को फरवरी और मार्च में कराया जा सके। फिलहाल इसे लेकर कोई भी फैसला आने वाले स्थिति के अनुसार लिया जाएगा। इस बीच शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने एनसीईआरटी और सीबीएसई के साथ ही शुरू हुए नए शैक्षणिक सत्र से जुड़ी चुनौतियों लेकर चर्चा भी की है। साथ ही इन्हें पैनी नजर रखने को कहा है।
पिछले साल संक्रमण की ऐसी ही स्थितियों में पाठ्यक्रमों में की गई थी तीस फीसद तक कटौती
पिछले साल कोरोना संक्रमण की ऐसी ही स्थितियों के बाद शिक्षा मंत्रालय की सलाह पर सीबीएसई ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए नौवीं से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम में तीस फीसद तक की कटौती कर दी थी। हालांकि यह कटौती सिर्फ उसी सत्र के लिए की गई थी। अब दसवीं और बारहवीं की चार मई से होने वाली बोर्ड परीक्षाएं भी संशोधित पाठ्यक्रम के आधार पर ही होंगी। हटाए गए पाठ्यक्रम से कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा।