नई दिल्ली: भारत और नेपालके बीच संबंधों को मजबूत करने के सेना प्रमुख के बयान का नेपाल पर कोई असर नहीं पड़ा है. नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने चीन के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हुए वो दुस्साहस कर डाला जो उसे भविष्य में बहुत भारी पड़ने वाला है.
नेपाल ने अपनी संसद में भारत के कुछ हिस्सों पर अपना दावा ठोकते हुए विवादित नक्शे को अपनी संसद में दो तिहाई से भी अधिक बहुमत से पास कर दिया है. 275 सदस्यों वाली नेपाली संसद में इस विवादित बिल के पक्ष में 258 वोट पड़े. भारत और नेपाल के सम्बंधों में नेपाल की वामपंथी सरकार दरार डालने में जुटी है. इसके खिलाफ खुद नेपाल की जनता है.
इन हिस्सों पर दावा करता है नेपाल
आपको बता दें कि भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार झूठा दावा करती है. नेपाल ने 18 मई को एक नया नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना हिस्सा बताया था. इस कदम से भारत और नेपाल की दोस्ती में दरार आनी शुरू हो गई. भारत ने लगातार इसका कड़ा विरोध किया लेकिन नेपाल सरकार चीन के इशारे पर काम करती रही और संसद में इसे मंजूरी भी दे दी.
इसी साल मई में शुरू हुआ था विवाद
आपको बता दें कि 8 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख से धाराचूला तक बनाई गई सड़क का उद्घाटन किया था. इसके बाद नेपाल ने लिपुलेख को अपना हिस्सा बताते हुए विरोध किया था. नेपाल और भारत के सदियों से आत्मीयता भरे रिश्ते रहे हैं. पीएम मोदी ने नेपाल में भूकंप आने पर दिल खोलकर मदद की थी. नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार नेपाल का हित नहीं चाहती है. गौरतलब है कि 18 मई को नेपाल ने नया नक्शा जारी किया. इसमें भारत के तीन इलाके लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपना हिस्सा बताया.
नेपाल में भी हो रहा नक्शे का विरोध
उल्लेखनीय है कि नेपाल की जनता नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार से सहमति नहीं रखती. नेपाल में कई जगहों पर इस विवादित नक्शे का विरोध किया गया. नेपाल में जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरी विरोध दर्ज करा चुकी हैं. उन्होंने संशोधन बिल को वापस लेने और पुराने नक्शे को बहाल करने की मांग की थी.
नेपाल कम्युनिस्ट सरकार के के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया था. साथ ही दावा किया कि वो अपनी ज़मीन वापस लेकर रहेंगे. नेपाल की जनता नेपाल सरकार से असहमत है इससे ये स्पष्ट है कि नेपाल सरकार किसी तीसरे के इशारे पर ये दुस्साहस कर रही है और ये तीसरा कोई और नहीं चीन ही है