नईदिल्ली : देश में कोरोना वायरस महामारी का कहर लोगों पर किस कदर टूट रहा है, इसका अंदाजा श्मशान घाटों को देखकर ही लगाया जा सकता है श्मशान घाट में कम पड़ती जगह भी कोरोना के कहर का जीता जागता उदाहरण है । बीते दिन शनिवार को सराय काले खां श्मशान घाट (Sarai Kale Khan Shamshan Ghat) की भयावह तस्वीर सोशल मीडिया के माध्यम से देश में सबके सामने थी।
इस श्मशान में लकड़ी द्वारा अंतिम संस्कार करने के लिए पहले से 38 प्लेटफार्म बने हुए हैं। इन 38 प्लेटफार्म होने के बाद भी यहाँ पर अब अंतिम संस्कार करने के लिए जगह नही बच रही , तो श्मशान घाट के सामने बने पार्क में 27 और प्लेटफार्म अंतिम संस्कार के लिए बनाए जा रहे हैं। हालाँकि यहाँ बिजली से चलने वाले दो प्लेटफार्म है परन्तु इनमे से एक खराब पड़ा है।
दिल्ली नगर निगम की तरफ से पार्क के अंदर नए शवदाह करने के लिए जगह तैयार की जा रही है, फिलहाल ईंट और पक्के गारे से चौकोर प्लेटफार्म तैयार किए जा चुके है हालाँकि अभी इन जघोने पर इसके नीचे का बेस अभी बनना बाकी है। इनके पूरी तरह तैयार होने के बाद ही यहाँ शवदाह किए जाएंगे।
हालाँकि नगर निगम की सबसे बड़ी लापरवाही तो तब देखने को मिली जब यहाँ बने कई प्लेटफार्म है जिनसे जिनमे शवदाह करने पर पेड़ों को नुकसान पहुंचेगा अनेको पेड़ तो जलकर खत्म हो जाएंगे। आनन् फानन में ही सही मजबूरन दक्षिणी नगर निगम को यह नए शवदाह प्लेटफार्म बनवाना पड़ा है।
चार घंटा जमीन पर पड़े रहे लावारिश शव
सराय काले खां श्मशान घाट (Sarai Kale Khan Shamshan Ghat) के पास बीते दिन शनिवार को एक हृदय विदारक तस्वीर सामने आई, उस तस्वीर में तीन शव करीब चार घंटे तक लावारिश हालत में जमीन पर पड़े हुए थे, चार घंटो तक शवो के ऐसे पड़े रहने के बाद इन शवों को शाम को करीब 5 बजे आग के हवाले किया गया।
बाकी श्मशान घाटों पर भी भयावह तस्वीर
दिल्ली के बाकी शमशान घाटों में भी स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है शहर के उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी सभी हिस्से में श्मशान घाटों (Shamshan Ghat) की हालत खराब है, यहां की भी तस्वीर भयावह है। शाम को चार बजे तक गाजीपुर श्मशाम घाट (Gaji[pur Shamshan Ghat) पर पचास से ज्यादा शवों को जलाया जा चुका था।
एक चिता की आग ठंडी नहीं होती कि दूसरी चिता को जलाने का बंदोबस्त शुरू हो जाता है। दिल्ली के तीन जोनों में कुल 25 श्मशान घाटों पर एक साथ 655 शवों को जलाने की छमता है। एक शव को लकड़ी से जलने में दो-ढाई घंटे का समय कम से कम लगता है। जबकि शवदाह स्थलों पर लोग शवों को जलाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।