Black Fungus: ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) हो सकता है घातक – डॉ. के. सी. मेशराम

SHUBHAM SHARMA
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सिवनी : मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.सी.मेशराम ने बताया कि महाराष्ट्र, गुजरात एवं अन्य राज्यों में ब्लैंक फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या तथा सिवनी जिले में भी ब्लैंक फंगस का एक केस सामने आने से लोगो को इस बीमारी के बारे में जानकारी होना आवश्यक है ताकि समय रहते लोग अपना बचाव एवं उपचार करा सके।

कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के साथ-साथ पॉजिटिव रोगी तथा अस्पताल से छुटटी प्राप्त व्यक्तियों में म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) होने की सूचना मिल रही है। ज्ञात हो कि म्यूकोरमाइकोसिस फंगल संक्रमण से उत्पन्न होने वाला रोग है जो प्रायः रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी वाले रोगियों/व्यक्तियों में दिखाई देता है।

ऐसे रोगियो में हवा तथा पानी में मौजूद फंगस के कण रोगी के नाक, मुख, दांत, आंख एवं गंभीर स्थिति में मस्तिष्क तथा अन्य अंगो को भी संक्रमित कर सकता है। जिसकी समय पर पहचान एवं उपचार न होने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) सामान्यतः मधुमेह से पीड़ित रोगी, पूर्व से उपचार ले रहे श्वसन तंत्र अथवा गुर्दे की बीमारी से पीड़ित रोगी, कैंसर या अंग प्रत्यारोपण के पश्चात इम्यूनो सप्रेसिव उपचार ले रहे रोगी एवं ऐसे रोगी जो लंबे समय से स्टेरायॅड दवा तथा ब्रॉड स्प्रेक्ट्रम एंटिबायोटिक का उपयोग कर रहे है साथ ही कोविड-19 संक्रमण उपरांत प्रतिरोधक क्षमता कम होने से ऐसे लोगो में ब्लैक फंगस के संक्रमण की संभावना ज्यादा रहती है।

डॉ. मेशराम ने म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के नियंत्रण हेतु आवश्यक सावधानियां रखने की सलाह दी है ऐसे कोविड पॉजिटिव मरीज ठीक होने के उपरांत जिन्हे मधुमेह की शिकायत है उन्हे अपना शुगर लेवल नियंत्रित रखना होगा। जिन रोगियो को चिकित्सकीय परामर्श अनुसार स्टेरायड दिया जा रहा है उनमें रेंडम ब्लड शुगर के स्तर की जांच प्रतिदिन आठ घंटे के अंतराल से किया जाना चाहिए। साथ ही चिकित्सकीय परामर्श अनुरूप स्टेरायड दवाई के डोज को भी कम किया जाना चाहिये।

ब्रॉड स्प्रेक्ट्रम एंटिबायोटिक का अनावश्यक एवं अनुचित उपयोग नही किया जाए। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान स्टेराईल/ डिस्टिल्ड वॉटर का उपयोग हयूमिडीफायर (हवा में नमी के लिए) में किया जाए। एवं नियमित रूप यह पानी बदला जाए साथ ही अस्पताल में भर्ती कोविड-19 रोगियो में संक्रमण नियंत्रण हेतु मानक संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल का पालन किया जाए। जिसमें ऑक्सीजन मास्क, कैनुला एवं डिस्पोजेबल्स का नियमित विसंक्रमण तथा यथोचित बदलाव सुनिश्चित किया जाए। साथ ही भर्ती मरीजों में इनवेसिव म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के निम्न लक्षणों की सतर्कता पूर्वक निगरानी रखना आवश्यक है।

जैसे- नाक या मुंह से रक्त या काले रंग का स्त्राव निकलना, नाक ओर आंख के चारों तरफ लालपन तथा दर्द, नाक के अंदर कड़ापन, लगातार सिरदर्द, चेहरे तथा आंख के आसपास सूजन, आंखो की पलको में सूजन, सांस लेने मे तकलीफ, लगातार खांसी तथा मानसिक स्थिति में बदलाव आदि लक्षण दिखाई देने पर तत्काल चिकित्सक परामर्श लेवे।

कोविड वार्ड या आई.सी.यू में भर्ती रोगियों के लिए आंख, नाक एवं मुख की समुचित देखभाल एवं स्वच्छता आवश्यक है। कोविड-19 उपचाररत रोगियों की छुट्टी उपरांत भी रागियों को 4 से 6 सप्ताह तक नमक के पानी के गरारे, तथा सैलाईन नेजलड्राप के माध्यम से नाक एवं मुंह की स्वच्छता रखना चाहिये।

यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि रोगियों को नाक/मुंख/आंख से निकलने वाले काले कण/स़्त्राव के संबंध में संतर्क रहना चाहियें ताकि फंगल संक्रमण का शीघ्र पहचान कर चिकित्सीय उपचार प्रारंभ किया जा सके। उन्होने आम जनता से अपील की है कि इस प्रकार के लक्षण किसी भी व्यक्ति/मरीज में दिखाई देते है वे तत्काल चिकित्सक को दिखाकर अपना उपचार प्रारंभ करना सुनिश्चित करे ताकि विलम्ब के कारण होने वाली जटिलताओं से बचा जा सके।

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Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
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