पटना।बिहार के सत्ताधारी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) में अब सब कुछ फिर पटरी पर लौटता (All is Well) नजर आ रहा है। बीते कुछ समय से विद्रोह का झंडा थामे लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) अब नरम पड़ते दिख रहे हैं। इसके साथ उनके एनडीए छोड़ने के कयासों पर विराम लगता दिख रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या चिराग मान गए हैं या एनडीए से बाहर जाना उन्हें घाटे का सौदा लगा? सवाल यह भी है कि क्या महागठबंधन या किसी तीसरे मोर्चे में जाने की उनकी संभवना पर विराम लग गया है? हालांकि, इस बाबत एलजेपी का कोई आधिकारिक बयान अभी तक नहीं दिया है।
बीच का रास्ता निकालने में कामयब रही बीजेपी
मिली जानकारी के अनुसार विद्रोह पर उतारू चिराग पासवान के साथ बीजेपी की बातचीत सकारात्मक रही है
इसके बाद चिराग नरम पड़े दिख रहे हैं। चिराग की नाराजगी के दो मुख्य मुद्दे रहे हैं। पहला तो एनडीए में सीटों के सम्मजनक बंटवारे (Seat Sharing) का है। दूसरा मुद्दा बिहार में बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार से उनके मतभेद का है। गाैर करें तो यह मतभेद भी विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे से जुड़ा है। नीतीश कुमार की पार्टी बीते विधानसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा रहते हुए एलजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ी थी। इस बार उसके एनडीए में रहने के कारण कई सीटों पर दोनों दलों के दावे हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी को 42 सीटें दी गई थीं, जिनमें उसने दो पर जीत दर्ज की थी। एलजेपी बीते चुनाव से अधिक सीटें चाहती है, जिसमें जेडीयू बड़ी बाधा है।
सीटों पर बनी बात, पीएम मोदी में जताई आस्था
हालांकि, अब लग रहा है कि बीजेपी ने बीच का रास्ता (Middle path) निकाल लिया है। एलजेपी को एनडीए में अब विधानसभा की 28 तथा विधान परिषद की दो सीटें देने की बात है। हाल तक बीते चुनाव से कम सीटों पर किसी समझौते से इनकार कर रही एलजेपी अब इसके लिए राजी बताई जा रही है। अगर ऐसा है तो चिराग जेडीयू के खिलाफ 143 उम्मीदवार उतारने के फैसले पर भी नरम पड़ चुके हैं। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में आस्था भी व्यक्त की है
महागठबंधन में रास्ता तलाशते नहीं दिख रहे चिराग
सवाल यह है कि आखिर ऐसा होता क्यों दिख रहा है? एनडीए में विरोध का झंडा उठाए चिराग को महागठबंधन (Mahagathbandhan) के साथ जाने के कयास लगाए जा रहे थे। महागठबंधन से जीतनराम मांझी (Jitanram Manjhi) की विदाई के बाद इस संभावना को और बल मिल रहा था। हाल के दिनों में उनके सुर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) से मिलते नजर आ रहे थे। बिहार की नीतीश सरकार (Nitish Government) की आलोचना में वे तेजस्वी की ही लाइन पर चल रहे थे। जेडीयू ने भी चिराग के बयानों के विपक्ष के आरोपों को मजबूती देने का आरोप लगाया था। लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। महागठबंधन में सीटों को लेकर मची खींचतान में एलजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी, इसे लेकर चिराग आश्वस्त नहीं दिख रहे हैं।
खटाई में पड़ी चिराग के तीसरे मोर्चे में जाने की भी बात
चिराग के साथ एक संभावना राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha), जन अधिकार पार्टी (JAP) के अध्यक्ष पप्पू यादव, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुखिया मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) के साथ तीसरे मोर्चे के गठन की भी थी। उपेंद्र कुशवाहा व पप्पू यादव को नीतीश कुमार का विरोध भी चिराग पासवान के करीब लाता दिख रहा था। जुड़ने का एक सूत्र यह भी था कि ये सभी नेता खास बिरादरी के प्रभावशाली समूहों को कुछ हद तक प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, कुशवाहा के अनिर्णय के हालत में रहने तथा मुकेश सहनी के महागठबंधन में ही संभावनाएं तलाशते रहने के कारण इन दलों को मिला कर तीसरे मोर्चे की संभावना फिलहाल आकार लेती नहीं दिख रही है। तीसरे मोर्चे के गठन की कोशिशें फिर भी जारी हैं, लेकिन चिराग फिलहाल कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं।