दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर सोमवार (23 मार्च) को अपने तथा यहां की जिला अदालतों के कामकाज पर चार अप्रैल तक रोक लगा दी है। अत्यावश्यक मामलों को रजिस्ट्रार या संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष फोन पर सूचीबद्ध कराया जाएगा और इन मामलों में सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी।
उच्च न्यायालय ने किसी अदालती कार्यवाही को सीमित करने की अवधि के संबंध में किसी भी अनुरोध पर 23 अप्रैल से चार मार्च तक विचार नहीं किया जाएगा। सीमा बंधन अवधि उस समय को कहा जाता है जिसके तहत किसी वाद, अपील या आवेदन को दायर करना होता है।
मुख्य न्यायधीश डी एन पटेल की अध्यक्षता वाली आठ न्यायाधीशों की समिति द्वारा लिए गए फैसले की जानकारी उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार द्वारा जारी अधिसूचना में दी गई है। अधिसूचना में कहा गया, “इस अदालत के साथ ही अधीनस्थ अदालतों की कार्यवाही चार अप्रैल तक निलंबित की जाती है।” इसमें बताया गया कि बार नेताओं ने इस संबंध में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
निचली अदालतों के कार्य के संबंध में उच्च न्यायालय ने जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को नई गिरफ्तारियों से जुड़ी रिमांड कार्यवाही के लिए न्यायिक अधिकारियों का एक रोस्टर तैयार करने का निर्देश दिया है। इसमें कहा गया, “अत्यावश्यक नए मामलों के लिए प्रत्येक जिले में एक प्रशासनिक अधिकारी (न्यायिक) नामित किया जाएगा जिससे वकील या पक्ष फोन पर संपर्क कर सकता है।”
साथ ही कहा कि जिन मामलों में सुनवाई पहले से चार अप्रैल तय है उन्हें आगे की तिथि के लिए स्थगित कर दिया जाएगा और सूचना अदालतों की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली न्यायिक अकादमी को चार अप्रैल तक सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर रोक लगा देनी चाहिए।
इससे पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय से सभी अदालतों को 31 मार्च कर बंद करने पर विचार करने की अपील की थी। बार काउंसिल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा था कि वायरस के प्रसार को रोकने के कदमों के तहत प्रभावी एवं सुरक्षात्मक कदम उठाने जरूरी हैं।
इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) के तेजी से हो रहे प्रसार के मद्देनजर सभी के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी है और केवल अति आवश्यक मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करने का निर्णय लिया है। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सोमवार (23 मार्च) को तय किया कि अब अगले आदेश तक बेहद जरूरी मामलों में ही सुनवाई होगी। ये सुनवाई भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होगी। शीर्ष अदालत ने मंगलवार (24 मार्च) शाम पांच बजे तक सभी वकीलों के चेंबर को सील करने का आदेश भी दिया।
केरल उच्च न्यायालय 8 अप्रैल तक बंद
वहीं, कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए केरल उच्च न्यायालय 8 अप्रैल तक बंद रहेगा। हालांकि, कोर्ट प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को खुला रहेगा, ताकि जरूरी मामलों की याचिकाएं दायर की जा सकें। देश में महाराष्ट्र के बाद केरल में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए गए हैं।