एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा देश की सभी सरकारी बैंकों को निजीकरण हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। वहीं दूसरी और अब दिल्ली में सरकार ने डीटीसी बसों को निजीकरण करने का फैसला कर लिया है। यानी कि अब इन बसों का संचालन प्राइवेट तरीके से किया जाएगा।
इसके लिए एक समिति का गठन भी कर लिया गया है। रिपोर्ट क्लस्टर बसों की तरह परिचालन से लेकर रखरखाव तक की जिम्मेदारी अब इसकी होगी। बता दें कि अगर निजीकरण हाथों में यह बस चली जाती है तो यात्रियों के किराए पर भी असर देखने को मिलेगा।
152 डीटीसी बसों को इस कंपनी के हाथ में सौंपा
दरअसल दिल्ली में इस समय 152 डीटीसी इलेक्ट्रिक बसों की जिम्मेदारी निजीकरण हाथों में सौंपी जा रही है। इसके ट्रायल के तौर पर देखा जा सकता है। जानकारी मिली है कि इसी तर्ज पर एनटीपीसी के पूरे बेड़े का परिचालन प्राइवेट हाथों में होगा।
दिल्ली में डीटीसी के 2 मॉडल पर परिचालन किया जाता है जिसमें 7200 बसें शामिल की गई है जिसमें सरकार की निगरानी में चलने वाली 3812 ऐसी बसें हैं ।वहीं दूसरा क्लस्टर मॉडल है इसमें परिचालन से लेकर रखरखाव तक निजी हाथों में दी गई है यह जिम्मेदारी डिम्पट्स नाम की कंपनी को दी गई है।
वर्कर्स दबाव में सरकार कर रही ये फैसला
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टीडीसी के अन्य बसों को भी क्लस्टर मॉडल की तर्ज पर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है ।डीटीसी वर्कर यूनिट सेंटर ने इस फैसले पर मीटिंग पर मीटिंग की जा रही है। कामगारों का कहना है कि दिल्ली सरकार को इसको लेकर चेतावनी नोटिस भी भेज दिया जाएगा ।
केजरीवाल सरकार वर्कर्स इकाई के दबाव में आकर बस परिचालन से संबंधित एक कमेटी का गठन कर रही है। वर्करों की मांग है कि इनका कहना है कि आम आदमी पार्टी की ओर से जारी पार्टी के घोषणापत्र में संविदा कर्मचारी को सुनिश्चित करने के वादे किए गए थे ।इसके चलते अब यह सरकार पूरी तरह से पीछे हट गई है और ऐसे निर्णय ले रही है।
हालांकि अगर ऐसा होता है तो इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों के किराए में भी बढ़ोतरी हो जाएगी। यानी कि अब तक यह बासें सरकारी किराए पर चलती थी, लेकिन अब प्राइवेट हाथों में जाने के बाद किराया भी अधिक वसूला जाएगा। इससे आम जनता की जेब पर काफी भार भी पड़ सकता है। हालांकि अब देखना यह होगा कि इन बसों के संचालन पर कितना किराया लिया जाता है।