इन सात कारण से लगता हैं कि सुशांत की हत्या हुई है

By SHUBHAM SHARMA

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ऊपरी तौर पर जो दिख रहा है और जैसा दिखाया जा रहा है, वो उतना ही सच है जितना कल्पनाओं में कोई कल्पना सच हो सकती है. सच सात तालों में भी कैद हो सकता है और सात पर्दों में भी. फिलहाल सुशांत सिंह की तथाकथित आत्महत्या के मामले में सच सात पर्दों के पीछे छुपा नज़र आ रहा है..  

नई दिल्ली.  हत्या में प्रायः योजना होती है और सावधानियां भी. आत्महत्या में अक्सर योजना नहीं होती और सावधानी के लिए तो कोई गुंजाइश ही नहीं होतीं.   इसलिए आत्महत्या के केस में मामले पर फिर खामोशी की चादर चढ़ जाती है लेकिन हत्या के मामले में रहस्य के आवरण एक नहीं होते बहुत से होते हैं और अक्सर उनके पीछे छुपे सच को सामने आने में वक्त लगता है. 

मृतक का चेहरा आत्महत्या की कहानी नहीं कहता

हैरानी है इस बात की कि आत्महत्या के मामलों की जानकारी रखने वाले लोग चाहे वे पुलिस के हों या आमजन – सब जानते हैं कि आत्महत्या करने वाले की आँखें और जीभ आत्महत्या की दर्दनाक प्रक्रिया के दौरान बाहर खिंच कर निकल आती हैं और लटक जाती हैं जो अपनेआप अंदर नहीं जा सकतीं.  फिर ऐसा कैसे हुआ कि जो चित्र सामने आये हैं उनमें ऐसा कुछ नहीं है – मुंह बंद है और आँखें भी बंद हैं साथ ही मृतक के चेहरे पर शयन-शान्ति दृष्टिगत हो रही है? साफ़ ज़ाहिर है कि या तो पहले ही मार दिया गया था विष दे कर या किसी और ढंग से और बाद में उसे आत्महत्या का रूप देने के लिए लटका दिया गया. किन्तु पोस्टमॉर्टेम की रिपोर्ट अगर ये कह रही है कि जान दम घुटने से गई है तो ये सम्भव है कि बेहोशी की स्थिति में सुशांत को लटकाया गया जिसके कारण शरीर ने फांसी का विरोध नहीं किया और उनकी सांस रुक गई और इस दौरान उनकी आंखों और जीभ में इसके विरुद्ध किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं देखी गई

पुलिस अधिकारी बहनोई ने मृत्यु को संदिग्ध माना

सुशांत की हरियाणा में रहने वाली बहन के पति हरियाणा पुलिस के एडीजीपी हैं. ज़ाहिर है वे सीनियर पुलिस अधिकारी हैं और अपने पुलिस जीवन की वरिष्ठता के आधार पर वे इतना तो अनुमान लगाने में सक्षम ही हैं कि ये मामला आत्महत्या का है या हत्या का. यहां यह बताना भी अहम है कि अपनी बरसों की पुलिस लाइफ के दौरान आये सैकड़ों ऐसे मामलों से गुजर कर आया उनका पुलिसिया अनुभव इस मामले में हत्या या आत्महत्या का फैसला किसी भी अन्य व्यक्ति से अधिक सच के करीब हो सकता है

जूस पी कर आत्महत्या नहीं होती

अगर जैसा कहा जा रहा है वो सच है तो ये कमाल है. कोई व्यक्ति जूस पी कर आत्महत्या करे तो उसकी जिंदादिली को सलाम है. और ऐसा जिंदादिल आदमी आत्महत्या जैसा अर्थहीन कदम उठा ही नहीं सकता. आत्महत्या करने वाला आत्महत्या करने के दौरान कुछ भी खा नहीं सकता और कुछ भी पी नहीं  सकता है क्योंकि उसका शरीर उसे स्वीकार करेगा ही नहीं. उसके मानस में मृत्यु का भाव है तो मानस से शरीर को प्रेषित किये जा रहे संदेश शरीर को बता देते हैं कि कुछ देर में ही काम खत्म होने वाला है सारा. ऐसे में मानस के सन्देश को स्वीकार कर के शरीर के अंग-प्रत्यंग आत्मसमर्पण कर देते हैं और उसके बाद उनकी सहज नैसर्गिक गतिविधियां बंद होने लगती है. भूख प्यास नींद आदि विभाग काम करना बंद कर देते हैं. ऐसे में मरने वाला अर्थात आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अपने हाथ से जूस कैसे पी सकता है? 

क्राइम सीन – स्टूल कहां गया?

सामान्य तौर पर आत्महत्या के लिए पंखे का इस्तेमाल होता है, ये बात ठीक है. ये बात अगर ये साजिश है, तो उस साजिशकर्ता को भी पता होगी. लेकिन अमूमन जो देखा जाता है कि आत्महत्या करने वाला व्यक्ति किसी स्टूल या कुर्सी का सहारा लेकर पंखे पर लटकता है. अखबारों और टेलीविज़न न्यूज़ में कहीं भी कोई क्राइम सीन पर ऐसी  कुर्सी या किसी स्टूल की बात नहीं की जा रही न ही दिखाया गया है. न ही उसकी कोई पिक सामने आई है. फिर अगर आत्महत्या की है सुशांत ने तो क्या पंखे के नीचे खड़े खड़े ही आत्महत्या कर ली उन्होंने?

पुलिस क्यों कर रही है जांच

ओपन एंड शट केस नहीं है इसलिए ही पुलिस जांच कर रही है. यदि कानूनी भाषा का शब्द हम यहां इस्तेमाल करें और कहें कि प्रथम दृष्टया सुशांत की आत्महत्या आत्महत्या नहीं लगती तभी पुलिस की जांच चल रही है. ये न्यूज़ स्टोरी लिखने तक पुलिस और क्राइम ब्रांच पांच लोगों से पूछताछ कर चुका है. क्यों आखिर पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद भी विसरा रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है? क्यों सुशांत के परिजन कह रहे हैं कि ये एक बड़ी साजिश है?

सुशांत का ज़िंदादिल और जुझारू टेम्परामेन्ट

सभी मित्र बताते हैं सुशांत की ज़िंदादिली के बारे में. सुशांत के परिवारजन उसके आशावादी होने की कहानियां सुनाते हैं. सुशांत का चेहरा उसके सपनों की उड़ान को लेकर उसके उत्साही मानस का प्रीतिबिम्ब दिखाता है और सुशांत की ज़िंदगी उसके जुझारू व्यक्तित्व की सफल कहानी है. ऐसे में सफलता के शिखर पर बैठे हुए सुशांत अचानक आत्महत्या कैसे कर सकते हैं?

ज़िन्दगी में किसी बात की कोई कमी नहीं थी 

सब कुछ अच्छा ही अच्छा था सुशांत के जीवन में. एक संपन्न परिवार में जन्म लिया था सुशांत ने. एक सफल छात्र जीवन को जिया और टॉपर रहे.  इंजीनियरिंग का करियर त्यागा और अभिनय का दामन थामा. फिर यहां भी भाग्य ने उनकी मेहनत को सफलता का उपहार दिया और घर-घर में देखे जाने वाले टीवी सीरियल का जाना-पहचाना चेहरा बन गए सुशांत. अमेरिका जा कर फिल्म अभिनय का  इसके बाद फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा. और यहां भी आठ सुपरहिट फिल्म्स दीं. पैसे की कोई कमी नहीं थी, चांद पर ज़मीन खरीद कर उसने बता दिया कि सपने सच किये जा सकते हैं. प्रेम भी भरपूर मिला इतना मिला कि उसने प्यार में चयन करने का विशेषाधिकार भी पाया.  शादी भी अब होने वाली थी सितम्बर में. फिर क्यों ये बात फैलाई जा रही है कि डिप्रेशन का शिकार थे सुशांत?

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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