खुशहाली किसी भी मुल्क की समृद्धि एवं विकास के लिए ही नहीं वरन् मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी निहायती अवश्यंभावी है क्योंकि बिना खुशहाली के हम दुरुस्त मानसिक स्वास्थ्य की आकांक्षा भी नहीं कर सकते हैं खुशहाली एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें हमारा हृदय कुछ वक्त के लिए सकारात्मकता से परिपूर्ण हो जाता है और मस्तिष्क में उछाह का प्रवाह प्रवाहित होने लगता है तथा कुछ पल के लिए हमें बहुत कुछ अच्छा महसूस होने लगता है एंव हम खुशी के आलम में कुछ वक्त गुजार लेते है।
अब ध्यातव्य यह कि हम खुश और नाखुश कैसे होते हैं? तो यदि इस विषय में यह कहा जाए तो उपयुक्त होगा कि हम जैसा सोचते और चाहते यदि वैसा मुमकिन हो जाये तो अमूमन हम खुश हो जाते हैं तथा हम जो सोचते व चाहते है यदि उसके विपर्याय कुछ हो जाये तो हम नाखुश हो जाते हैं यही इन्सान की खुशी और गम के प्रति वृत्ति है हालांकि यह सब प्रादुर्भूत करने में परिस्थितियों का भी संयोग होता है।
वहीं खुशहाली के विषय में यह नहीं कहा जा सकता कि आप स्वयं को खुश रखने के लिए किस दायरे तक सही सोचते व चाहते हैं। यदि इस वक्त के प्रचलन की हम बात करें तो आज हमारे देश में अधिकांश लोग जरूरतों को उतनी वरीयता नहीं देते जितनी ऐश्वर्य की वस्तुओं को देते हैं तथा ऐश्वर्य को ही खुशी का जरिया समझ रहे हैं और ऐसी ही मनोवृत्ति को विकसित करने में लगे हुए है। दूसरी ओर खुशाहाली किसी भी मुल्क की आवाम के रहन-सहन और कार्यप्रणाली के साथ-साथ सरकार के नीतिगत ढांचे पर भी कुछ हद तक निर्भर करती है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी विश्व खुशहाली रिपोर्ट, 2021 में भारत 149 देशों की सूची में 139 वें पायदान पर है, जबकि फिनलैंड शीर्ष पर है संयुक्त राष्ट्र विश्व खुशहाली रिपोर्ट-2021 में मुसलसल चौथे साल फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल मुल्क माना गया है इस साल की रिपोर्ट में कोविड-19 और उसके द्वारा लोगों पर पड़ने वाले असर पर ध्यान केंद्रित किया गया है वहीं भारत विश्व खुशहाली सूची में वर्ष 2019 में 140वें पायदान पर था जबकि साल 2020 की विश्व खुशहाली रिपोर्ट में भारत 144वें स्थान पर रहा था।
फिनलैंड दुनिया के खुशहाल देशों की सूची में सबसे ऊपर है इसके बाद आइसलैंड, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, स्वीडन, जर्मनी और नार्वे का स्थान है रिपोर्ट के मुताबिक सूची में पाकिस्तान 105वें पायदान पर है जबकि बांग्लादेश और चीन क्रमश: 101वें एवं 84वें स्थान पर हैंयुद्धग्रस्त अफगानिस्तान के लोग अपने जीवन से सबसे अधिक अप्रसन्न हैं. इसके पश्चात जिम्बाब्वे (148वें), रवांडा (147वें), बोत्सवाना (146) और लेसोथो का (145वां) स्थान है तथा इस सूची में अमेरिका को 19वां स्थान मिला है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भारत को वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट में 139वां स्थान कोरोनो वायरस महामारी के कारण थोड़ा अलग तरीके से मिला है। संयुक्त राष्ट्र स्थायी विकास उपाय नेटवर्क द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट तीन मुख्य संकेतकों- जीवन मूल्यांकन, सकारात्मक भावनाओं और नकारात्मक भावनाओं पर भरोसा करके व्यक्तिपरक कल्याण को मापा गया है।
रिपोर्ट को जीडीपी, सामाजिक समर्थन, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रत्येक देश में भ्रष्टाचार के स्तर जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए खुशी के स्तरों का मूल्यांकन किया जाता है और यदि हम भारतीय संदर्भ में खुशहाली के विभिन्न स्तरों का मूल्यांकन करे तो जिस तरह का खुशहाली सूचकांक में भारत का प्रदर्शन रहा है वह भारत की निकृष्ट हालत को दर्शाता है जिसे देखकर मस्तिष्क में यह प्रश्न उद्भूत होना लाजमी है कि आखिर भारत की खुशहाली सूचकांक में इतनी चिंतनीय स्थिति क्यों है? हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है
तथा हम प्राकृतिक संसाधनों से लेकर भौतिक साधन, सुख सुविधाएं, टेक्नोलॉजी आदि में विश्व के विभिन्न देशों के साथ मुस्तैद है लेकिन उसके बावजूद हम खुशहाली में वैश्विक स्तर पर निचले पायदान पर क्यों है और इसके क्या कारण है यह विचार करने की हमारे लिए बेहद दरकार है तथा अगर हम गहराई से चिंतन करें तो इसका एक मूल कारण दिखावा भी है जिसके पीछे हम भाग रहे हैं जिससे हमारे लिए खुशी कम एवं गम ज्यादा मिलते है
और इसके साथ हमारे देश में आज भी बहुत से ऐसे मुद्दे बरकरार हैं जिनसे हमारा शारीरिक और मानसिक संतुलन से लेकर समाजिक और आर्थिक दशा भी निकृष्ट है इन मुद्दों में जनसंख्या वृद्धि, गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, नशा, जातिवाद, धार्मिक दुराग्रह आदि ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं जो हमारी मनोदशा पर अनिष्ट प्रभाव डालते हैं जिससे हमारे मस्तिष्क में अशांति उदित होती है और हम नाखुश हो जाते हैं।
इन सब मुद्दों को केवल सरकार हल नहीं कर सकती बल्कि एक शिक्षित समाज सरकार के साथ मिलकर इन सब मुद्दों पर ऐसा फलीभूत प्रयास कर सकता है जो हमें संतुष्टि की ओर ले जाये जिससे हमारा मुल्क आने वाले भविष्यतकाल में वैश्विक खुशहाली सूचकांक में प्रवर पायदान पर काबिज हो सके और भारतीय खुशहाली समूचे विश्व में एक अलहदे रूप में प्रशंसनीय हो।