श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2021: कौन हैं श्रीकृष्ण ?

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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हमारे ऋषि-मुनियों ने बताया है कि श्रीकृष्ण स्वयं भगवान हैं, अर्थात वे किसी भगवान के अवतारी नहीं हैं, बल्कि उनसे ही अनेकों अवतार होते हैं। इसे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाकर सिद्ध भी किया था, अर्थात वे समस्त शक्तियों के समुद्र हैं। 

यदि श्रीकृष्ण को मनुष्य माना जाए तो उनके जन्म से लेकर परमधाम गमन तक की जितनी भी लीलाएं हैं, वे मनुष्य की समझ में ही नहीं आएंगी।

क्या किसी बच्चे के जन्म लेने से उसके माता-पिता की बेड़ियां स्वतः ही टूट सकती हैं ? क्या जेल के दरवाजे अपने आप खुल सकते हैं और पहरेदार तब तक अचेत रह सकते हैं जबतक कि उसके पिता उस बालक को दूर अपने मित्र के घर तक सुरक्षित न पहुंचा आएं ? कोई भी इस बात पर विश्वास नहीं कर सकता और उसके बाद तो फिर गोकुल और वृंदावन में होने वाली चमत्कारिक लीलाओं के मर्म को समझ पाना बड़े-बड़े बुद्धिमानों के भी वश की बात नहीं है।

एक नन्हा सा बालक पूतना जैसी बड़ी राक्षसी को, जो उसे स्तनपान कराकर स्तनों में लगे हुए जहर से मारना चाहती थी, वो दूध के साथ उसके प्राणों को खींचकर कैसे उसका वध कर सकता है? अघासुर, बकासुर आदि बड़े-बड़े राक्षसों को चुटकियों में मार देना, जंगल में लगी हुई भयानक दावानल को मुख में पीकर अपने साथी ग्वालबालों और गायों-बछड़ों की रक्षा करना, क्या किसी साधारण बालक के वश की बात है ? इंद्र के कुपित होने पर होने वाली भयंकर मूसलाधार वर्षा से अपने गांव वासियों, ग्वालबालों, गायों-बछड़ों को बचाने के लिए क्या कोई साधारण बालक अपनी उंगली पर और वह भी सबसे छोटी उंगली कनिष्ठिका पर गोवर्धन जैसे इतने बड़े पर्वत को धारण कर सकता है?

श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला के पीछे कोई न कोई बड़ा कारण या गूढ़ मर्म छुपा होता है, जिसे समझ पाना साधारण बुद्धि के बस की बात नहीं।

भगवान श्रीकृष्ण की कुछ लीलाएं जैसे चीरहरण लीला व रासलीला पर लोग गलत आक्षेप करते हैं, किंतु वे उसकी वास्तविकता से अनभिज्ञ होते हैं। एक तो बालक श्रीकृष्ण ने ये लीलाएं नौ या दस वर्ष की आयु में की थीं, इतनी छोटी अवस्था में किसी के मन में विकार होना संभव ही नहीं है और वह भी द्वापर युग में।

इसे यदि साधारण दृष्टि से देखा जाए तो ये एक बालक की शरारत और चंचलता भरे खेल के रूप में ही देखी जा सकती हैं, किंतु यदि श्रीकृष्ण को भगवान मानते हुए यह शंका की जाए कि उन्होंने ऐसी क्षुद्र लीलाएं क्यों कीं? तो इसके लिए यह समझना बहुत आवश्यक है कि भगवान सभी विकारों से मुक्त होते हैं, उनके भीतर वासना का होना मुमकिन ही नहीं है।

यह बात तो श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता के उपदेश में भी स्पष्ट की है कि वही सभी प्राणियों की आत्मा हैं, ऐसा कुछ भी नहीं है जो उन्हें अप्राप्त हो और उन्हें प्राप्त करना हो, वे जो भी करते हैं वह संसार के कल्याण के लिए ही करते हैं, तो जब उन्हें कुछ अप्राप्त है ही नहीं तो क्या वो साधारण गोपियों के लिए कोई निम्न कोटि का कर्म करेंगे ?

श्रीकृष्ण समस्त जगत के प्राणियों को समान दृष्टि से देखते हैं, उनके भीतर भेद दृष्टि नहीं है कि वे किसी को स्त्री या पुरुष के रूप में देखें। वो जैसे ग्वालों के साथ सखा भाव रखते थे, वैसे ही गोपियों के साथ सखी भाव भी रखते थे, किंतु उस भाव में कोई विकार नहीं था। रासलीला पर उंगली उठाने वाले एकबार रासलीला पढ़कर देखें, जब रात्रि में श्रीकृष्ण के मुरली बजाने पर गोपियां उनसे मिलने जाती हैं तो श्रीकृष्ण ने उन्हें किस प्रकार संपूर्ण नारी धर्म का उपदेश दिया।

उनसे वापस लौट जाने का आग्रह किया, किंतु गोपियों ने श्रीकृष्ण को जो उत्तर दिया है, उनके वाक्यों से स्पष्ट होता है कि वे पहचानती थीं कि श्रीकृष्ण कौन हैं और असली धर्म क्या है ? वे श्रीकृष्ण के धर्म के उपदेश के जवाब में कहती हैं कि धर्म का अनुसरण किया ही इसलिए जाता है कि अंत में एकदिन तुम प्राप्त हो जाओ, किंतु तुम्हें पाकर जो पुनः पीछे धर्म के रास्ते पर लौट जाए, उससे बड़ा मूर्ख कौन होगा, इससे यह भी स्पष्ट होता है कि उन गोपियों के रूप में वास्तव में कौन-सी आत्माएं थीं, जो पिछले जन्मों में अपने सारे धर्मों-कर्मों का निर्वाह करके अंत में अपने चरम लक्ष्य तक पहुंच चुकी थीं।

रंजना मिश्रा- लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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