राजनीति व तुष्टिकरण ने भारत मे जातीय मतभेद को विगत सैकड़ो वर्षों से लगातार बढ़ाया है । जिसका कहीं न कहीं महत्वपूर्ण कारण आज हर क्षेत्र में आरक्षण की मांग का होना भी है । आरक्षण क्या है ये समझना बहूत आवश्यक है बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी जिन्होंने भारत को अपनी विद्वता से बहूत कुछ दिया उन्होंने स्वम् संविधान निर्माण के समय आरक्षण के लिए कुछ वर्ष निर्धारित किए थे क्योंकि उस समय समाज के कमजोर वर्ग के पास उन्नति के सभी साधन उपलब्ध नही थे ।
जो सही भी था समाज मे सभी वर्गों व जाती को समान अवसर मिलने भी चाहिए तभी देश का चहुमुखी विकास संभव हो सकता है । पर देश की राजनीति ने आरक्षण शब्द को वोट बैंक का हथियार बना लिया । आज बाबा साहेब द्वारा निर्धारित समयसीमा पूरी होने पर आरक्षण का हटना तो दूर बल्कि प्रत्येक क्षेत्र में आरक्षण की मांग को बुलंद किया जा रहा है ।
तो प्रश्न ये है जिन लोगो के लिए आरक्षण बनाया गया था क्या वास्तव में उन लोगो को आज इसका फायदा मिल पा रहा है दूसरी ओर जिन लोगो को आरक्षण नही मिल रहा क्या आज वो ही समाज असहाय एवम असमर्थ तो नही होता जा रहा है।
वर्तमान समय आधुनिकता व विकास का है जहां योग्यता के अनुशार सबको अवसर मिलने चाहिए अब बात करें उस स्वर्ण समाज की जिस समाज को समृद्ध कहा जाता रहा है तो आज प्राइवेट नौकरी में यदि संख्या देखे तो ज्यादातर इसी समाज के लोग आपको दिखाई देंगे क्योंकि व्यापार में पूंजी लगाने के लिए सभी के पास पर्याप्त नही है एवम सरकारी नौकरी में योग्यता के साथ साथ आरक्षण का भी ध्यान रखा जाता है ।
जिस तरह किसान बिल पर किसानों से बात करने को सरकार पर दवाब बनाया जा रहा है तो क्या आरक्षण पर फैसले लेने से पहले बाकी समाज से नही पूछा जाना चाहिए । आरक्षण खत्म न भी हो तो इससे ज्यादा दिक्कत नही है पर अब हर क्षेत्र में आरक्षण को प्राथमिकता देने से आपसी भेदभाव का जन्म होता है ।
यदि आज विधालयों में जाया जाए तो जो भी प्रतिभाशाली बच्चे है चाहे वो किसी भी समाज या वर्ग के हो वो अपनी प्रतिभा पर आगे बढ़ना चाहते हैं यदि वोट बैंक के लिए आरक्षण का खेल इसी तरह चलता रहा तो बाकी समाज के लिए तो अवसर लगभग खत्म से ही हो जाएंगे इसलिए अच्छे समाज व विकासशील देश का ये कर्तव्य है कि आरक्षण वास्तव में उन लोगो को अवश्य मिलना चाहिए जिन्हें इसकी आवश्यकता हो चाहे वो किसी भी समाज या जाति के हो ।
आधुनिक युग मे जातिगत भेदभाव की आवश्यकता नही अपितु आपसी प्रेम व मिलकर अपना व देश का विकास करने की आवश्यकता है।