कोरोना और लॉकडाउन के बीच फिर प्रवासी मजदूरों का पलायन

SHUBHAM SHARMA
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लेखक: सतीष भारतीय

कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों के पलायन का सिलसिला आज से नहीं बल्कि एक वर्ष पूर्व से प्रारंभ हुआ था और पिछले वर्ष 2020 में प्रवासी कामगारों का एक प्रथक रूप हमने देखा था जिसमें अनेक प्रवासी मजदूरों ने पैदल हजारों किलोमीटरों की दूरी तय की थी और उन मजदूरों के बच्चों का बचपन चमकती धूप में गुजरा था एवं कुछ लोगों की जान भी चली गयी थी तथा देश की सरकार व नेता आलीशान इमारतों में से आश्वासन देते रहें और उस वक्त उनके आश्वासनों में प्रवासी कामगारों के मुद्दे पर भी सियासत की बु आने लगी थी।

रफ्ता-रफ्ता कोराना की स्थिति सामान्य हुई तो बाजारों में भी रौनक लौटने लगी और मजदूर एक बार फिर अपनी बोरियां बिस्तर लेकर पृथक-पृथक राज्यों के बड़े-बड़े शहरों में अपनी आजीविका चलाने के लिए काम करने आ गए तथा जैसे-तैसे काम मिला तो काम करने लगे लेकिन बढ़ते कोरोना और लॉकडाउन ने उन्हें फिर एक बार घर वापसी के लिए मजबूर कर दिया है अब इसे कोरोना काल की परिस्थितियों का अस्बाब कहें या फिर लॉक डाउन का डर कहें जिससे   प्रवासी मजदूर पलायन कर रहे हैं। 

हाल ही में दिल्ली में 6 दिनों के लॉकडाउन के पश्चात एक बार फिर प्रवासी मजदूरों ने बड़े पैमाने पर दिल्ली से वापस लौटना शुरू कर दिया हैं और केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के बड़े-बड़े राज्यों से कामगारों की कतारें घर वापसी की ओर दिख रही है खासकर इन राज्यों यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब सहित आदि राज्य है जिनका का आलम यह है कि कोरोना के बीच एक बार फिर वहाँ के बस स्टैंडों और रेलवे स्टेशनों पर प्रवासी मजदूरों की भीड़ मुसलसल विस्तृत रूप ले रही है

एक तरफ कोरोना दिन-ब-दिन व्यापक रूप ले रहा और कोरोना से मौतों की वजह से बड़े शहरों में अंतिम संस्कार को भी जगह मिल पाना मुहाल हो रहा है दूसरी ओर मजदूरों का पलायन विचारणीय मुद्दा बन गया है और इस वक्त जिस तरह मुफलिस प्रवासी मजदूर आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं और पलायन कर रहे हैं उसे देखकर राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी जैसे काग्रेस के नेताओं ने प्रवासी मजदूरों के पलायन पर केन्द्र सरकार से उनके खातों में रूपये डालने की मांग भी की है लेकिन केन्द्र सरकार का इस दिशा में कोई कारगार कार्य दिखाई नहीं दे रहा है। 

राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा होने के पश्चात् प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हुआ और आनंद विहार बस अड्डे पर भारी तादाद में प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा हो गयी तथा सोशल डिस्टेंसी से लेकर कोरोना के विभिन्न नियमों का पालन भी नहीं हो रहा है यह देखकर यह प्रतीत होता है कि सरकारें और प्रशासन स्थिति संभालने में असफल हो गये है।

हमारे मुल्क में इस कोरोना काल में जो परिस्थितियों के मजबूर प्रवासी मजदूर पलायन कर रहे हैं वह भी इस देश के वही नागरिक है जिन्हें राजनैतिक पार्टियां केवल वोट के लिए इस्तेमाल करती है और फिर सत्ता पर काबिज होने पांच वर्ष उपरांत उन्हें वोट बैंक की प्राप्ति के लिए ऐसे मुफलिस कामगारों की याद आती है।

इस कोरोना काल में कामगारों की परेशानियां और दर्द साफ-साफ नजर आ रहा है एक तो कोरोना की मार ऊपर से महंगाई की मार से निम्न और मध्यम वर्ग पिस रहा है तथा जिस तरह मजदूरों का पलायन बढ़ रहा उसी तरह कोरोना के केस भी आये दिन बढ़ रहे हैं तो कहीं आलम यह है कि कोरोना से मरने वालों की लासें सढ़ रही है तो कहीं अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं मिल रही है

और कहीं शवों को ले जाने वाले लोग नहीं मिल रहे तथा रोजाना एक साथ सैकड़ों शव भी जल रहे हैं और यह तो आपको मालूम ही होगा कि हाल ही में कुम्भ स्नान जो आस्था का प्रतीक बना हुआ है उसमें कहाँ तक सोशल डिस्टेंसी नजर आई है कहीं न कहीं कुम्भ की भीड़ से भी मुसलसल कोरोना केस बढ़े है साथ में चुनावी राज्यों में भी करोनो के नियमों के उल्लंघन से कोरोना को रफ्तार मिली है इस बीच ध्यातव्य है कि यह प्रवासी मजदूरों का पलायन कहीं मुसीबत का सबब ना बन जाये इसलिए इस वक्त सरकार को मुफलिस प्रवासी मजदूरों की जरूरतों और समस्याओं के समाधान की दिशा में फलीभूत प्रयास करना निहायती अवश्यंभावी है।

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Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
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