कश्मीर में मानवता की हत्या करने वाले कटरपंथी अब हत्याएं करके भागते नही है । अपितु घटना को अंजाम देने के बाद वापस सामान्य व्यक्ति का जीवन व्यतीत करते हैं ।
ये वो ही लोग है जो एक खास कट्टरवादी विचारधारा से प्रभावित होकर सामान्य समाज के लोगो को धर्म के आधार पर टारगेट करके मार देते हैं ।
अब ये कट्टरवादी लोग आतंकवादी की तरह नही अपितु सामान्य नागरिक की भांति समाज के बीच रहते हैं । जांच एजेंसियों के लिए भी इन्हें पहचानना बहूत ही चुनौतीपूर्ण है क्योंकि मानवता के हत्यारे किसी खास व्यक्ति को नही अपितु सामान्य व्यक्ति को मारकर धार्मिक भय व एकाधिकार बनाना चाहते हैं ।
अतः समाज को भी अति जागरूक व सक्रिय होकर सतर्क एवम सुरक्षित रहना होगा । जिस शिक्षा व विचारधारा के कारण नवयुवा को कटरपंथी बनाया जा रहा है । उस शिक्षा व विचार को अविलंब प्रतिबंधित करना चाहिए ।
जिसकी चर्चा आस्ट्रेलिया की संसद में , अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प एवम बहूत से यूरोपियन देश पहले ही कर चुके हैं । क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो कट्टरवादी शिक्षा के सम्पर्क या प्रभाव में आया हुआ हो ।
उस व्यक्ति ने कितनी ही उच्चशिक्षा प्राप्त करी हो परन्तु उसका मन एवम मस्तिष्क उस व्यक्ति से वो ही बर्बरता एवम अमानवीयता करवाएगा ।
जिसकी शिक्षा उस व्यक्ति को कट्टरवादी शिक्षण स्थलों से प्राप्त हुई है । जिसके प्रमाणिकता भारत मे कई बार देखने को मिली है । बहूत से इंजीनियर , प्रोफेसर , डॉक्टर आदि प्रतिष्टित लोगो ने कट्टरवादी विचारधारा से प्रभावित होकर पूर्व में भी भारतीय लोकतंत्र व मानवता की निर्मम हत्या की है ।