रोचक जानकारी: समोसा लगभग सभी ने खाया ही होगा और बचपन में ज्यादर लोगों का पसंदीदा भी रहा होगा , लकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर समोसा त्रिकोण आकार में ही क्यों बनाया जाता है , जबकि समोसा को गोल बनाना बहुत ही आसान है.
हालाँकि आजकल अनेको प्रकार के समोसे बनने लगे है लकिन भारत में त्ररिकोण आकार के ही आलू के समोसे सबसे ज्यादा प्रचलित है, भारत छोडिये विदेशो में भी लोग समोसे के दीवाने है, सिर्फ भारत में ही करोड़ों लोग समोसा के दीवाने हैं.
समोसा का त्रिकोण आकार
समोसा का त्रिकोण आकार, सभी ने बचपन से देखा है और यह आकार लोगों को अत्यधिक आकर्षित भी करता है लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि समोसा त्रिकोण क्यों होता है, जबकि गोल समोसा बनाना ज्यादा आसान होता है, तो चलिए जानते है, कुछ नहीं तो आपने होटल , रेस्टोरेंट, छोटी छोटी चाय नाश्ते की दुकानों पर या कभी खुदके घरो में भी समोसा बनाते हुए भी देखा होगा, मैदा से बनी हुई लोई को रोटी की तरह गोल बेला जाता है और फिर बीच में से आधा काट दिया जाता है, यह काम बढाने वाला काम है मतलब समोसा बनाने में मेहनत भी लगती है
यदि समोसा गोल बनाय जाये तो
यदि मैदे की लोई को बेलने के बाद बिना काटे उसे गोल आकर में ही रहने दिया जाता और बीच में मसाला भरकर तल दिया जाता तो समोसा गोल बनेगा और टेस्ट में किसी भी प्रकार का कोई फर्क नहीं आयगा, फिर भी दुनिया भर में समोसे को तिकोना बनाया जाता है।
समोसा का त्रिकोण आकार के पीछे है दमदार साइंस
समोसे को त्रिकोण बनाना किसी हलवाई का आविष्कार नहीं है, बल्कि समोसे को त्रिकोण बनाने के पीछे एक दमदार साइंस छुपा हुआ है। दुनिया में सबसे पहले समोसे का जिक्र 11 वीं सदी में फारसी इतिहासकार अबुल-फज़ल बेहाक़ी द्वारा किया गया।
उन्होंने बताया कि मोहम्मद गजनबी के शाही दरबार में एक नमकीन चीज पेश की जाती थी जिसमें कीमा और सूखे मेवे भरे होते थे। यहां तीनों चीजें महत्वपूर्ण है। पहला- शाही दरबार, दूसरा- कीमा और तीसरा- सूखे मेवे। यदि गोल बनाएंगे तो उसके फट जाने की संभावना बनी रहेगी। समोसा की पपड़ी को मजबूत होना बहुत जरूरी था।
मिस्र के पिरामिड तो आपको याद ही होंगे। दुनिया में यदि किसी को सबसे मजबूत बनाना है तो उसे त्रिकोण बना दीजिए। यही कारण है कि समोसा को त्रिकोण बना दिया गया ताकि उसके अंदर भरा हुआ मसाला, उसके अंदर ही बना रहे।