कूड़ेदान में रक्तदान! ब्लड डोनेट करने के बाद ख़ून मरीज़ को जाए न जाए, नालियों में ज़रूर जाता है

By SHUBHAM SHARMA

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रक्तदान करने के लिए हमें अकसर प्रेरित किया जाता है. ये भी हमने कई बार सुना है कि भारत में हर साल कई लोगों की सही वक़्त पर ख़ून ना मिलने के कारण मौत हो जाती है. लेकिन हर साल भारत में कई लाख यूनिट ख़ून बर्बाद होता है. सोचने वाली बात है, पहले तो ख़ून की कमी है. उसके बाद ख़ून की बर्बादी? भारत में हर साल 10-12 मिलियन यूनिट ख़ून की ज़रूरत होती है और सिर्फ़ 9.9 मिलियन ख़ून ही जमा किया जाता है. स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल लाखों यूनिट ख़ून बेकार हो जाता है और फेंक दिया जाता है. इसके पीछे कई कारण हैं. ज़्यादा दिन तक ख़ून रखे रहने से ख़ून ख़राब हो जाता है और किसी काम नहीं आता, इसलिये इसे फेंकना ही पड़ता है. दूसरा कारण है, स्टोरेज. तीसरा, Infections. स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक ख़ून मलेरिया, HIV, Hepatitis C, Hepatitis B जैसे रोगों के किटाणुओं से Infect हो जाता है और बेकार हो जाता है.

ख़ून में पाया जाने वाला Plasma, जो अलग-अलग तरह से किसी रोगी की ज़िन्दगी बचा सकता है, सबसे ज़्यादा बर्बाद होता है. WHO(World Health Organisation) के अनुसार, ख़ून की एक यूनिट से कम से कम 3 लोगों की जान बचाई जा सकती है.

WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक Open Heart Surgery करने के लिए औसतन ख़ून की 6 यूनिट की ज़रूरत होती है, वहीं एक Accident के शिकार व्यक्ति को 100 यूनिट तक ख़ून की ज़रूरत हो सकती है. अस्पताल में भर्ती 10 मरीज़ों में से 1 को ख़ून की ज़रूरत पड़ती ही है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये डेटा लोकसभा में उठाये गये एक प्रश्न के उत्तर में प्रस्तुत किया.

हमारी आबादी का अगर 1 प्रतिशत हिस्सा भी ईमानदारी से रक्तदान करे, तो देश में ख़ून की कमी नहीं होगी. लोग आजकल रक्तदान को लेकर ज़्यादा जागरूक हुए हैं और ऐसे में सरकार का ऐसा ग़ैरज़िम्मेदाराना रवैया कई प्रश्न खड़े करता है.

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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