कला संस्कृति: भारतीय संस्कृति -5: भारतीय मूर्तिकला – GK IN HINDI

SHUBHAM SHARMA
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मूर्तिकला ललित कला का एक रूप है। यह एक त्रिविमीय कला होती है। इसमें मिट्टी, पत्थर आदि द्वारा सजीवों का एक त्रिविमीय आकार दिया जाता है।

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प्राचीन भारतीय मूर्तिकला

हालांकि पाषाण काल में पत्थर के बर्तन और औज़ार बनाने की शुरुआत हुई लेकिन भारत में मूर्तिकला का विकास हड़प्पा काल में ही हुआ। सिंधु घाटी सभ्यता के स्थलों से पशुपतिनाथ की मूर्ति प्राप्त हुई है जिसके चारों ओर हाथी, बैल, हिरण हैं। यहाँ से एक स्त्री की मूर्ति प्राप्त हुई है जो लहंगा पहने हुए है। इसे मातृदेवी की मूर्ति माना गया है। यहाँ से 7 इंच लंबी एक मानव के सिर की मूर्ति भी प्रपट हुई है। यहाँ से प्राप्त मूर्तियाँ मिट्टी, कांस्य और टेरिकोटा की हैं। यहाँ से नर्तकी की कांस्य मूर्ति प्राप्त हुई हैं। इसके अलावा यहाँ की मुहरों पर भी मूर्तियों की तरह अलंकरण किया गया है।

वैदिक काल में मूर्ति-पूजा का प्रचलन नहीं था। लोग केवल अग्नि के चारों ओर पूजा करते थे। हालांकि मूर्तियों का कुछ जिक्र वैदिक साहित्य में मिलता है। बौध्द, जैन और वर्तमान हिन्दू धर्म के विकास के साथ मूर्तिकला में भी काफी विकास हुआ।

मौर्य काल

मौर्य काल में मूर्तिकला में काफी विकास हुआ। हालांकि मौर्यकाल के काफी अवशेष आज नहीं है। अशोक के सारनाथ स्तम्भ में अशोक की लाट की मूर्ति भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है। इसमें चार दिशाओं में चार शेर हैं। नीचे अशोक चक्र बना हुआ हैं। मौर्य काल में गौतम बुध्द और महावीर जैन की मूर्तियों का निर्माण हुआ। पटना संग्रहालय में मौर्य-काल की मूर्ति रखी हुई है।

दीदारगंज यक्षी

दीदारगंज यक्षी की मूर्ति मौर्यकालीन मूर्तिकला का उत्कृष्ट नमूना है। यह दीदारगंज के निवासियों द्वारा खोजी गयी थी। यह पटना संग्रहालय में रखी गई है।

पूर्व गुप्त-काल

शुंग काल में मूर्तिकला अपने चरमोत्कर्ष पर थी। पुष्यमित्र शुंग ने भरहूत स्तूप का निर्माण कराया जिसमें शुंग काल की मूर्तिकला का प्रभाव दिखता है। सातवाहन वंश में भी मूर्ति कला का विकास हुआ। सातवाहन राजा ब्राह्मण थे लेकिन उन्होने बौध्द धर्म को प्रोत्साहन दिया। अतः गौतम बुध्द की मूर्तियों का विकास भी इसी काल मेन हुआ। कुषाण काल में कला की गांधार शैली का विकास हुआ|

गांधार शैली

गांधार शैली का विकास कुषाण काल में हुआ। गांधार का कला स्कूल विश्व प्रसिद्ध था, इसका निर्माण और विकास कुषाण काल में हुआ। इसकी मूर्तिकला का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण बुध्द को योगी के रूप में दिखाया गया है। गौतम बुध्द के जीवन से संबंधित मूर्तियाँ इस शैली का सर्वोत्तम उदाहरण है। इसमें बोधिसत्व की मूर्तियाँ भी बनाई गईं थीं।

मथुरा शैली

कुषाण काल में गांधार स्कूल के अलावा मथुरा स्कूल भी प्रमुख था। मथुरा शैली में हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौध्द धर्म से संबन्धित मूर्तियाँ प्रमुख थीं। इसमें लाल- सफ़ेद पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यह शैली तीसरी सदी ईस्वी पूर्व से बारहवीं सदी तक 1,500 साल तक प्रमुख रही। इसके उदाहरण वर्तमान मथुरा, वाराणसी, प्रयागराज में मिलते हैं।

प्राचीन भारतीय मूर्तिकला के प्रमुख उदाहरण

  • दीदारगंजी यक्षी (मौर्यकाल)
  • नटराज (चोल काल)
  • मातृदेवी (सिंधु घाटी सभ्यता)
  • पशुपतिनाथ (सिंधु घाटी सभ्यता)
  • शिव मूर्ति (कैलाश मंदिर, ऐलोरा-राष्ट्रकूट काल)
  • जैसलमेर की संगमरमर की जैन मूर्तियां (राजपूत काल)
  • होयसलेश्वर मंदिर की मूर्तियाँ(होयसल वंश)
  • खजुराहो मंदिर की मूर्तियाँ (चंदेल वंश )
  • कोणार्क के सूर्य मंदिर की मूर्तियाँ (गंग वंश)
गुप्तकालीन मूर्तिकला

गुप्तकाल में ही मूर्तिकला का सर्वाधिक विकास हुआ। इस काल में हिन्दू धर्म का वर्तमान स्वरूप विकसित हुआ। हिन्दू देवी- देवताओं की मूर्तियाँ इस काल में प्रमुख रहीं। सारनाथ की बैठे हुए बुद्ध की मूर्ति, मथुरा में खड़े हुए बुद्ध की मूर्ति एवं सुल्तानगंज की कांसे की बुद्ध मूर्ति इस काल की प्रमुख मूर्तियाँ हैं। इस काल में ही शिव के एकमुखी और चतुर्मुखी शिवलिंग का विकास हुआ। अर्धनारीश्वर मूर्ति का विकास भी इसी काल में हुआ। इस काल की भगवान हरिहर की प्रतिमा मध्य प्रदेश से प्राप्त हुई है। इसके अलावा इस काल की कई अन्य मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं। सारनाथ की बुध्द मूर्ति, मथुरा की वर्धमान महावीर की मूर्ति, विदिशा की वराह मूर्ति, काशी की गोवर्धन धारी कृष्ण की मूर्ति, झांसी की शेषशायी विष्णु की मूर्ति इसी काल की देन हैं।

ऐलीफेंटा की गुफाएँ

एलीफेंटा की गुफाएँ महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित हैं। इनका निर्माण राष्ट्रकूट राजाओं के समय हुआ। इसमें सात गुफाएँ हैं। इनमें शिव की मूर्ति बहुत प्रसिद्ध है।

गुप्तोत्तरकालीन मूर्तिकला

वर्धन काल की कई गौतम बुध्द की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। राजपूत काल में भी मूर्तिकला का विकास हुआ। खजुराहो के मंदिर का निर्माण चंदेल वंशी राजपूत राजाओं ने कराया। इसमें मूर्तिकला का अप्रतिम उदाहरण है। पल्लववंशी, चोलवंशी राजाओं के मंदिरों में भी मूर्तिकला का अप्रतिम उदाहरण है।

नटराज की मूर्ति

नटराज की मूर्ति भगवान शिव की मूर्ति है। नटराज का शाब्दिक अर्थ होता है’तांडव नृत्य की मुद्रा में शिव’। नटराज की मूर्ति विश्व प्रसिद्ध मूर्ति है। यह चोल शासकों के समय की है जिसे  मेट्रोपॉलिटिन कला संग्रहालय, न्यूयॉर्क सिटी में रखा गया है।

मध्यकालीन भारतीय मूर्तिकला

मध्यकाल में अर्ब आक्रमणों के साथ ही भारत में इस्लाम धर्म आया। इस्लाम धर्म में मूर्ति पूजा का विधान नहीं था। विजयनगर के शासकों द्वारा हम्पी में बनाए गए मंदिरों में मूर्तिकला के बेहद उत्कृष्ट नमूने देखने को मिलते हैं। राजपूत राजाओं ने भी मूर्तिकला को प्रोत्साहन दिया।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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