सिवनी। पार्वती डहेरिया अध्यक्ष जनसमस्या निवारण संस्था के नेतृत्व में सभी संघठन के पदाधिकारीगण एवं सदस्यो ने जिला प्रशासन एवं जिला पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।
शिक्षा एवं धर्म उपनगरी सोमवारी चौक भेरौगंज सिवनी में पुलिस चौकी खोलने बाबत जिला कलेक्टर डाँ. राहुल हरिदास फटिंग से सौजन्य भेट किये।
साथ ही पुलिस चौकी के लिऐ आवेदन दिया साथ ही जिला पुलिस अधीक्षक के नाम कार्यालय पहुचकर ज्ञापन दिया। इससे भेरौगंज मे पुलिस चौकी खुलने से असमाजिक तत्वो और साम्प्रदाइकता के भय से नागरिको एवं छात्र-छात्राओ व महिलाओ मे भय के वातवरण से मुक्ति मिलेगी।
पार्वती डहेरिया ने बताया की शिक्षा एवं धर्म उपनगरी भेरौगंज सिवनी मे जिले कि महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थाए जेसे कालेज, स्कूल एवं नर्सरी अनेको संख्याओं मे स्थापित है। जहाँ हजारो कि संख्या मे नगर एवं जिले के अन्य ग्रामीण अंचलों से बालक एवं बालिकाये अध्ययनरत है।
साथ ही इस क्षेत्र मे कबीर पंथ, जैन पंत, गुरुनानक पंत, सिंधी पंत, सनातन हिंदू धर्म निवासरत है। साथ ही भेरौगंज सोमवारी चौक मे ईदगाह मज्जीद एवं प्राचीन श्री हनुमान घाट व अन्य देव स्थल है जहा सदेव असमाजिक तत्वो द्वारा शांति व्यवस्था को बिगाड़ने क प्रयास किया जाता है। जिससे साम्प्रदाइकता को खतरा बना रहता है।
इस परिपेक्ष पर प्राचीन श्री हनुमान घाट के पास एम. एल.बी. स्कूल के सामने दलसागर तालाब के किनारे उपयुक्त पुलिस चौकी स्थापित होने हेतु उपउक्त स्थल है। जहा से सभी प्रकार कि समस्याओ पर अंकुश लगाया जा सकता है।
उलेखनीय है पुलिस चौकी भेरौगंज मे खुलवाने हेतु सामजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी कश्यप के अथक प्रयास जारी है। सामजिक कार्यकर्ता एवं सामजिक संघठन समाज का दर्पण होता है। हम सब मिलकर इस जनहित कार्य कै लिऐ प्रशासन के पास जल्द कार्यावाही हेतु सहयोग के लिऐ आए है।
आपको ज्ञात हो कि आए दिन असामाजिक तत्थवों का सामना स्कूल कॉलेज परिसर में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को करना पड़ रहा है जिससे आगामी समय में बड़ी घटना होने की भी आशंका है।
नारी सुरक्षा, आत्मरक्षा, महिला सशक्तिकरण जैसे अभियानों के बावजूद लड़कियों और महिलाओं के रोजमर्या के जीवन में होने वाली छीटाकशी से मुक्त नहीं मिली है। खासतौर पर स्कूल व कॉलेज जाने वाली छात्राओं को इस समस्या का सामना करना पड़ा रहा है।
महिला सशक्तिरण के नाम पर सिर्फ ढिढोरा पीटा जा रहा है। तमाम संगठन सिर्फ कागजों पर ही हैं। निर्भया, नारी शक्ति के दावे सच्चे साबित होते नजर नहीं आ रहे हैं।
पुलिस की लापरवाही के कारण छात्राओं और महिलाओं को काफी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा हैं। पुलिस इस बात का इंतजार करती है, कि कोई शिकायत करे, तो कार्रवाई की जाए। जबकि लड़कियां परेशान होने के बावजूद परिवारिक व समाजिक प्रतिष्ठा के चलते शिकायत करने के लिए सामने नहीं आ पाती है। यही वजह है कि शिकायत के अभाव में पुलिस कार्रवाई नहीं होने से शोहदों के हौसले इतने बढ़े हुए है, कि वे सड़क से गुजरने वाली हर लड़की पर कमेंट करते हैं।
स्कूलों व कॉलेजों के बाहर जमावड़ा –
स्कूल-कॉलेज खुलने और छुट्टी के समय आसपास मजनू बाइक या पैदल ही खड़े हो जाते हैं। हार्न का शोर-शराबा शुरू हो जाता है। इससे जाम की स्थिति बन जाती है, इसी भीड़-भाड़ और शोर-शराबे के बीच शोहदे लड़कियों पर कमेंट करके उन्हें रोज परेशान करते हैं।
लेकिन छात्राओं की सुरक्षा के लिए न तो स्कूल व कॉलेज प्रबंधक कोई व्यवस्था करते हैं और न पुलिस के जवान मौजूद रहते हैं। ऐसे में छीटाकशी की घटनाएं होती रहती हैं। शहर में कॉलेज खुलने व बंद होने के समय सड़कों पर मंडराने वाले मजनुओं पर पुलिस का कोई अंकुश नहीं है।
शोहदों की छीटाकशी के कारण बालिकाएं स्कूल जाने से घबराती हैं। पुलिस इनके खिलाफ अभियान चलाना मुनासिब नहीं समझती। इसका परिणाम ये होता है, कि छात्राओं की समस्या का समाधान नहीं होता है। रोज-रोज की प्रताणना सहते-सहते लड़कियां भी इस पर खामोश होकर इन घटनाओं को नजरअंदाज करने लगती है। हालांकि इससे समस्या हल नहीं होती है।
इन इलाकों में समस्या ज्यादा –
शहर के पीजी कॉलेज, गर्ल्स कॉलेज, कन्या हाई स्कूल उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इलाके में परेशानी ज्यादा है। पीजी कॉलेज तिराहा, गल्र्स कॉलेज से पुलिस लाइन रोड का तिराहा, उत्कृष्ट विद्यालय के सामने व थोड़ी दूर मैं स्थित एमएलबी स्कूले के आसपास भी मनचले युवक मंडराते रहते हैं।
जो लड़कियों के आने-जाने के समय पर किसी न किसी बहाने से वहां खड़े हो जाते हैं और वहां से गुजरने वाली लड़कियों पर कमेंट करते रहते हैं। पुलिस भी कभी वहां खड़े युवाओं से वहां मौजूदगी के बारे में कोई पूछताछ नहीं करती है।
इस वजह से मनचलों का जमावड़ा बेखौफ लगा रहता है। यही हाल शहर के निजी स्कूल-कॉलेजों के भी है। वहां भी लड़कियों के आने-जाने के समय शोहदों का जमघट लगता है।
छीटाकशी के लिए ये है कानून –
महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ या उत्पीडऩ के मामले में आइपीसी की धारा 354 के तहत केस दर्ज किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 का इस्तेमाल ऐसे मामलों में किया जाता है, जहां स्त्री की मर्यादा और मान सम्मान को क्षति पहुंचाने के लिए उस पर हमला किया गया हो या उसके साथ गलत मंशा के साथ जोर जबरदस्ती की गई हो अथवा बुरी नीयत से छेड़छाड़ व छीटाकशी की गई हो।
भारतीय दंड संहिता(आइपीसी) के मुताबिक धारा 354 के तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।
कैंपस सुरक्षित, लेकिन सड़के नहीं –
कॉलेज कैंपस में सुरक्षा गार्ड लगने के बाद से कैंपस तो सुरक्षित हो गया है, लेकिन कॉलेज के आसपास और सड़क पर आवारा तत्वों की गतिविधियों पर अंकुश नहीं है। पुलिस को अभियान चलाकर कार्रवाई करने की जरुरत है।