“जन्माष्टमी विशेष : कृष्ण अवतरण की महिमा”

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

                                                अनादि मध्य अनंत आराध्य मेरे श्री कृष्ण।
                                                 कोटि-कोटि ब्रह्मांड में व्याप्त मेरे श्री कृष्ण।।

ज्ञान की अविरल धारा के प्रवाहक है श्रीकृष्ण। कृष्ण अवतरण का उद्देश्य तो केवल श्रीकृष्ण के सिद्धांतो एवं आदर्शो को अमल में लाकर मानव जीवन को सार्थक स्वरूप देना है। कृष्ण अपने जीवन में संगीत, नृत्य एवं रासलीला इत्यादि को महत्व देते थे।

वे जानते थे की इनको जीवन में शामिल करने से ही जीवन को रुचिकर बनाया जा सकता है। भगवान भक्त के अधीन होते है अतः भक्तो की पुकार पर श्रीकृष्ण अन्याय, अराजकता, भय, त्रास, पीड़ा और उत्पीड़न का अंत करने के लिए अवतरित हुए।

कृष्ण अवतरण में श्रीकृष्ण ने गौसेवा को चुना, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार गाय में सभी देवी-देवताओं का निवास है। उनका बाल्यकाल नटखट लीलाओं से सुशोभित होता है। वह कभी माखनचोर बने तो कभी मटकी फोड़ी और अपनी अनेक लीलाओं से सभी को आनंद से अभिभूत किया।

भक्त रूपी गोपियों को प्रीत की डोर में बाँधा। संगीत कहीं न कहीं हमारे तनाव को कम कर एकाग्रता को बढ़ाता है। यह शिक्षा भी श्रीकृष्ण मुरली मनोहर बनकर देते है। कृष्ण नाम तो मोक्ष का मूल है, जो कर्मो का निर्मूलन करके हममे भक्ति भाव की उत्कंठा जगा दे ऐसे है भक्तवत्सल श्रीकृष्ण। नि:स्वार्थ प्रेम और विश्वास के जनक और सच्ची मित्रता के अद्वितीय पर्याय है श्रीकृष्ण।

                                            श्रेष्ठ गुरु, सखा, स्वामी के प्रवर्तक रूप है मेरे श्री कृष्ण।
                                                कर्मयोगी बनने का पाठ सिखाते मेरे श्री कृष्ण॥

हमारे शास्त्रो में उल्लेखित है कि जो मानव देहत्याग करते समय श्रीकृष्ण के स्वरूप और नाम का स्मरण करते है, वह श्रीकृष्ण के स्वरूप में ही लीन हो जाते है। अतः मानव को सदैव श्रीकृष्ण का चिंतन, मनन और ध्यान करना चाहिए। कृष्ण अवतरण के लक्ष्यों को समझे तो श्रीकृष्ण ने सर्वत्र त्याग का मार्ग चुना। सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने माता-पिता को छोड़ा, सखाओं को छोड़ा, गोकुल- मथुरा और परमप्रिय राधा को छोड़ा। जीवन पर्यंत श्रीकृष्ण छोड़ते ही चले गए, परंतु श्रीकृष्ण ने जो नहीं छोड़ा वह है अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना।

उत्सव के द्योतक है श्रीकृष्ण। श्रीकृष्ण के नाम स्मरण और उच्चारण में मानवयोनि का उद्धार निहित है। विरह के वेदना को श्रीकृष्ण से अधिक कोई नहीं समझ सकता। जो श्रद्धाभक्ति पूर्वक भावो की माला से उनका भजन करता है वह मधुसूदन की गोद में बैठकर उनके स्नेह को अनुभव करता है। कृष्ण अवतरण दिवस को भक्ति भाव से सराबोर होकर एक महोत्सव की तरह मानना चाहिए।

                                        संसार की व्यथा को समूल नष्ट करते मेरे श्री कृष्ण।
                                                निष्काम कर्म की सीख देते मेरे श्री कृष्ण॥

            राधा नाम की महिमा का श्रीकृष्ण स्वयं गुणगान करते है। राधा सृजन करने वाली सर्वशक्तिशाली और आनंददायक शक्ति है। जब हमारे पुण्य कर्मो का उदय होता है, तभी मानव श्रीकृष्ण की भक्ति की ओर प्रेरित होता है। सही अर्थो में कृष्ण अवतरण तो जीवन के सत्य का साक्ष्य है। देवीय शक्तियाँ होने के बावजूद भी उन्होने निश्चित समय पर ही कंस का वध किया। स्वयं कृष्ण संदेश देते है की कर्म के फल को भोगना सबके लिए समान है, फिर चाहे वह ईश्वर हो या मनुष्य। श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबने वाला साधक स्नेह के रस का पान कर प्रीत का आनंद पाकर भावविभोर हो जाता है।

                                        प्रेम की चरम सीमा का उत्कर्ष है मेरे श्री कृष्ण।
                                    सच्ची पुकार पर निःसन्देह प्रकट होते मेरे श्री कृष्ण॥

            जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर क्यों न हम सभी प्रभु परायण होकर अपनी भक्ति को प्रतिदिन बढ़ाएँ। जिनके सानिध्य को प्राप्त करने से जगत के कोलाहल से मुक्ति प्राप्त होती है। श्रीकृष्ण के निर्मल स्वरूप को भजने से हमारे आंतरिक दोष नष्ट होने लगते है। जगत के प्रपंच, दंभ और कपट से दूर होकर हम आनंद का अनुभव करने लगते है। कृष्ण अवतरण का मूल उद्देश्य तो धर्म और अनुशासन के पतन को रोकना और भक्तो एवं संतो का उद्धार करना था। जब सुदामा ने श्रीकृष्ण से निरपेक्ष भाव से प्रेम किया तो श्रीकृष्ण ने सुदामा का पूरा साथ दिया। स्त्री सम्मान और द्रौपदी के अगाध विश्वास का प्रतीक है श्रीकृष्ण। जो भी मानव शरीर रूपी रथ की बागडोर बाँके बिहारी के हाथो में सौप देता है वह मनुष्ययोनि का उद्धार सुनिश्चित करता है।

                                        स्थिर प्रज्ञ होने का संदेश देते है मेरे श्रीकृष्ण।
                            डॉ. रीना कहती, मेरे आराध्य और योगीश्वर है मेरे श्रीकृष्ण।।
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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