आदिगुरू शंकराचार्य जयंती स्पेशल | Adi Guru Shankaracharya Jayanti 17 May 2021 : आदिगुरू शंकराचार्य जी का जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी को आद्र्रा नक्षत्र में हुआ था । वैदिक धर्म के उत्थान का सम्पूर्ण श्रेय इनको जाता है । आदिगुरू शंकराचार्य जो कि शिव जी अवतार माने जाते है । ये भारत के एक महान दार्शनिक एवं धर्मप्रवर्तक थे।
इन्होंने भारतवर्ष में चार कोनों में चार मठों की स्थापना की थी जो अभी तक बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं और जिन पर आसीन संन्यासी ‘शंकराचार्य‘ कहे जाते हैं।
उनके विचारोपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित हैं जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है। वेदों में लिखे ज्ञान को एकमात्र ईश्वर को संबोधित समझा और उसका प्रचार तथा वार्ता पूरे भारतवर्ष में की।
Adi Guru Shankaracharya Jayanti
आदि गुरू शंकर आचार्य का जन्म 788 ई में केरल में कालपी अथवा ‘काषल‘ नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम शिवगुरु भट्ट और माता का नाम सुभद्रा था। बहुत दिन तक सपत्नीक शिव को आराधना करने के उपरांत पुत्र रत्न पाया था, अतः उसका नाम शंकर रखा।
जब ये तीन ही वर्ष के थे तब इनके पिता का देहांत हो गया। ये बड़े ही मेधावी तथा प्रतिभाशाली थे। छह वर्ष की अवस्था में ही ये प्रकांड पंडित हो गए थे और आठ वर्ष की अवस्था में इन्होंने संन्यास ग्रहण किया था। इनके संन्यास ग्रहण करने के समय की कथा बड़ी विचित्र है।
कहते हैं कि माता एकमात्र पुत्र को संन्यासी बनने की आज्ञा नहीं देती थीं। तब एक दिन नदी किनारे एक मगरमच्छ ने शंकराचार्यजी का पैर पकड़ लिया तब इस वक्त का फायदा उठाते शंकराचार्यजी ने अपने माँ से कहा ‘‘ माँ मुझे सन्यास लेने की आज्ञा दो नही तो हे मगरमच्छ मुझे खा जायेगी ‘‘, इससे भयभीत होकर माता ने तुरंत इन्हें संन्यासी होने की आज्ञा प्रदान की और आश्चर्य की बात है कि जैसे ही माता ने आज्ञा दी वैसे तुरन्त मगरमच्छ ने शंकराचार्यजी का पैर छोड़ दिया । ३२ वर्ष की अल्प आयु में इनका स्वर्गवास हो गया ।
महत्त्व:
शंकराचार्य जयंती को हिंदू कैलेंडर और सनातन धर्म में सबसे पवित्र और शुभ दिनों में से एक के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह सबसे बड़े भारतीय दार्शनिक आदि शंकर की जयंती को चिह्नित करता है, जिन्हें जगद्गुरु या भगवत्पदा आचार्य के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें हिंदू धर्म की आध्यात्मिक प्राप्ति में उनके प्रमुख योगदान के लिए जाना जाता है।