कैसी आई 2021 की यह डरावनी कोरोना लहर।
नियमों के सख्त पालन से रोकना होगा यह कहर॥
समय नहीं है आरोप-प्रत्यारोप, स्वीकार-अस्वीकार और असत्य प्रसार का।
यह समय तो है केवल यथार्थ धरातल पर मानवीय व्यवहार का॥
माना कि कोरोना त्रासदी का तिमिर चहुँ ओर है फैला।
महामारी का यह विकराल रूप देख मन व्यथित हुआ और दहला॥
सर्वत्र दिखाई दे रही मानवीय वेदना और इसका दर्द भी है गहरा।
फिर भी हम समन्वित और संगठित प्रयासों से बनाएँगे अपना कल सुनहरा॥
शायद आज हमारे इम्तेहान का कठोर काल है।
क्योंकि कोरोना वाइरस ने पुनः रूप धरा विकराल है॥
आज एक-एक सांस पर आ गई है कयामत।
है ईश्वर, प्रार्थना है रखना सबको सलामत॥
वस्तुस्थिति में पारदर्शी और सहृदय व्यवहार की है आवश्यकता।
पीड़ा और भटकाव खत्म हो, यही चाहती है देश की जनता॥
कठिन हालातों में देनी होगी युद्ध स्तर पर कार्यो को गति।
इसी सकारात्मक्ता से बदल सकेंगी 2021 की नियति।।
तेजी से बढ़ते संक्रमण से शायद व्यवस्था डगमगा रही है।
डॉ. रीना कहती सभी को साथ मिलकर चलना है, शायद यह सीखा रही है॥