नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर हुई मुठभेड़ ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। बीजापुर में हुए नक्सली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए। सात जवान अभी भी लापता है। जबकि 31 जवान घायल हो गए। घात लगाकर किए गए इस हमले में हमारे जवानों ने बहादुरी से आखिरी सांस तक संघर्ष किया और करीब 25 नक्सलियों को ढेर कर दिया। हालांकि यह देश में पहली बार नहीं है, जब नक्सली हमले में जवानों ने अपनी जान गंवाई है। इससे पहली भी कई ऐसे नक्सली हमले देश में हो चुके हैं।
रानीबोदली
15 मार्च, 2007 को बीजापुर जिले के रानीबोदली कैंप पर नक्सलियों ने हमला किया था। इस हमले में 55 जवान शहीद हुए थे।
उरपलमेटा
9 जुलाई 2007 में एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और ज़िला पुलिस का बल माओवादियों की तलाश कर के वापस बेस कैंप लौट रहा था। उसी दौरान माओवादियों ने हमला कर दिया था। जिसमें 23 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
मदनवाड़ा
12 जुलाई, 2009 को राजनांदगांव के मानपुर इलाके में माओवादियों के हमले की सूचना पा कर पहुंचे पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौबे समेत 29 पुलिसकर्मियों पर माओवादियों ने हमला कर हत्या कर दी थी।
ताड़मेटला
06 अप्रैल, 2010 को सुकमा के ताड़मेटला में सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया था। इसमें 76 जवान शहीद हो गए थे।
दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर माओवादियों ने 17 मई 2010 में बारूदी सुरंग लगा कर हमला कर दिया था। इस हमले में 12 विशेष पुलिस अधिकारी सहित 36 लोग मारे गए थे।
झीरम
दरभा
12 अप्रैल 2015– बस्तर जिले के दरभा में एंबुलेंस को विस्फोट से उ़़डाया, 15 जवान, ड्राइवर स्वास्थ्यकर्मी शहीद
कसालपाड़
06 मई 2017- सुकमा के कसालपाड़ में घात लगाकर हमला, 14 जवान शहीद
बुरकापाल
25 अप्रैल 2017- सुकमा जिले के बुरकापाल में सीआरपीएफ जवानों पर हमला, 25 शहीद
मिनपा
23 मार्च 2020 सुकमा जिले के मिनपा में जवानों पर हमला, 17 शहीद
नारायणपुर
23 मार्च 2021– नारायणपुर में जवानों की बस को विस्फोट से उ़़डाया, पांच शहीद