नई दिल्ली। लोकसभा में पहला हफ्ता कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ विपक्ष के हंगामे के नाम रहा। विपक्ष किसानों के मुद्दे पर सदन में अलग से बहस कराने की अपनी मांग पर अड़ा रहा तो सरकार ने भी विपक्ष के दबाव में आने से इन्कार कर दिया। दोनों पक्षों के पीछे नहीं हटने की वजह से शुक्रवार को भी लोकसभा का गतिरोध नहीं टूट पाया और लगातार चौथे दिन विपक्ष के हंगामे के कारण सदन का कामकाज ठप हुआ। सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध तोड़ने के लिए शुक्रवार को बैठकों के दौर जारी रहा। इससे सोमवार को लोकसभा में किसानों के मसले पर जारी संग्राम के थमने की उम्मीद की जा रही है।
इस विकल्प पर मान सकता है विपक्ष
सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच शुक्रवार को हुई अनौपचारिक चर्चाओं के बाद उम्मीद की जा रही है कि राज्यसभा की तर्ज पर लोकसभा में भी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर 15 घंटे की चर्चा में किसानों का मुद्दा उठाने के विकल्प पर विपक्ष सोमवार को सहमत हो सकता है।
पीएम मोदी ने ली बैठक
लोकसभा में जारी गतिरोध का रास्ता निकालने के साथ सरकार की रणनीति तय करने को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन के अपने कार्यालय में बैठक की। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी आदि शामिल थे। इसमें विपक्ष के हंगामे के मद्देनजर धन्यवाद प्रस्ताव और बजट पर चर्चा कर इन्हें पारित कराने की रणनीति पर मंत्रणा हुई।
यहां फंसा है पेंच
समझा जाता है कि इसके बाद सरकार ने स्पीकर के जरिये विपक्ष को साफ संदेश दे दिया कि धन्यवाद प्रस्ताव और बजट को पारित कराने के बाद ही किसानों के मुद्दे पर चर्चा कराने को लेकर गौर किया जाएगा। सरकार का कहना है कि बजट सत्र के पहले चरण में केवल पांच कार्यदिवस बचे हैं। ऐसे में किसानों के मुद्दे पर आठ मार्च से शुरू हो रहे सत्र के दूसरे चरण में चर्चा कराई जा सकती है। विपक्ष अभी तक इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हुआ है।
सरकार अपना सकती है यह रास्ता
हालांकि, गतिरोध जारी रहने की स्थिति में सरकार धन्यवाद प्रस्ताव को हंगामे में ही बिना चर्चा के पारित करा सकती है। राज्यसभा में इस पर शुक्रवार को चर्चा पूरी भी कर ली गई। इसीलिए विपक्षी खेमे के सांसदों को इसकी भी चिंता है कि ऐसा हुआ तो उन्हें किसानों के मुद्दे पर अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल पाएगा।
सूबों की सियासत में दबा विपक्ष
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसद अपने सूबों की सियासत को ध्यान में रखते हुए कृषि सुधार कानूनों को लेकर सदन में अपनी बात कहना चाहते हैं। विशेषकर पंजाब के कांग्रेस सांसदों के अलावा अकाली दल और आप के सांसद किसानों के मुद्दे पर अपनी बात रखने के पक्ष में हैं।
राहुल ने खुद संभाली कमान
हालांकि यह भी हकीकत है कि इन दलों के काफी सदस्य किसानों के मुद्दे पर आक्रामक रुख की हिमायत कर रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो बीते दो दिन इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए आक्रामक रणनीति की कमान खुद संभाली। वहीं शुक्रवार को अधीर रंजन चौधरी की अगुआई में विपक्षी खेमे ने नारेबाजी जारी रखी तो स्पीकर ओम बिरला ने सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया।