घोटालेबाज लालू के लिए लिबरल गैंग का Twitter खेल चालू, Twitter पर आई पेड ट्वीट्स की बाढ़: चंदा बाबू जैसे पीड़ितों का दोषी ‘मसीहा’ कैसे?

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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‘सामाजिक न्याय’ – इन दो शब्दों ने बिहार का उतना नुकसान किया है, जितना शायद ही किसी ने किया हो। बिहार में 15 वर्ष के जंगलराज के दौरान तमाम आपराधिक वारदातें हुईं, अपराधियों को सत्ता का खुला समर्थन मिला और विकास परियोजनाओं को ठप्प कर दिया गया। अंत में उपलब्धि गिनाई गई कि हमने ‘सामाजिक न्याय’ किया, जो न दिखता है और न महसूस होता है। इसी तरह अब सजायाफ्ता लालू यादव के बीमार होने पर उन्हें ‘सामाजिक न्याय’ का मसीहा बताने वाले फिर से सामने आ गए हैं।

लालू यादव ने 15 वर्षों तक बिहार में सरकार चलाई थी और इस दौरान राज्य के हर जिले में किसी न किसी बड़े गुंडे को उसका संरक्षण प्राप्त था। सीवान के शहाबुद्दीन के बारे में तो सबको पता है, लेकिन बृजबिहारी प्रसाद से लेकर लालू के सालों साधु-सुभाष यादव तक, कोई ऐसा इलाका न था, जहाँ लालू ने गुंडे नहीं पाल रखे थे। 3 बेटों को खोने वाले चंदा बाबू अकेले नहीं थे, बिहार में 15 वर्षों के जंगलराज के ऐसे अनगिनत पीड़ित हैं।

दरअसल, ताज़ा खबर ये है कि बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण बिहार का पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू यादव को राँची के रिम्स से दिल्ली के एम्स में स्थानांतरित किया जा रहा है। उसे होना तो बिरसा मुंडा जेल में चाहिए था, लेकिन उसने सजा का अधिकतर हिस्सा अस्पताल में और यहाँ तक कि रिम्स डायरेक्टर के बँगले में भी बिताया। आज 82 विधायकों/विधान पार्षदों और 5 राज्यसभा सांसदों वाली पार्टी का मुखिया होते हुए भी वो अपनी कर्मों की सज़ा भुगत रहा है।

लालू यादव को एयर एम्बुलेंस से शनिवार (जनवरी 23, 2021) को रात पौने 9 बजे दिल्ली लाया गया। इसके बाद उसे एम्स में कार्डियो-न्यूरो सेंटर में भर्ती कराया गया। कहा जा रहा है कि लालू यादव के खून में शुगर का लेवल बढ़ गया है और उसकी दोनों किडनियाँ भी कुछेक प्रतिशत ही काम कर रही हैं। उसे न्यूमोनिया भी है और उसके फेंफड़ों में पानी भर गया है। शुक्रवार को उसके बेटे तेजस्वी ने भी उससे मुलाकात की और बेहतर इलाज के लिए माँग उठाई।

शुक्रवार की रात ही पत्नी राबड़ी देवी ने भी बेटे तेज प्रताप यादव के साथ उससे मुलाकात की। परिजनों ने लगभग 5 घंटों तक उससे मुलाकात की। लालू यादव को हार्ट की बीमारी भी है। उसकी उम्र भी 72 वर्ष हो गई है। पिछले दो दिनों से उसे साँस लेने में भी समस्या हो रही है। लालू यादव कोई संत नहीं है बल्कि वो चारा घोटाला मामले में जेल में बंद है। झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार आने के बाद उसे वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा था।

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इन सबके बीच प्रोपेगंडा पत्रकार आरफा खानुम शेरवानी ने पूछा, “सांप्रदायिक दंगों और आतंकवाद के आरोपित संसद में बैठे हैं और दलितों-पिछड़ों के मसीहा लालू यादव जेल में हैं। ये कैसा इंसाफ़ है? ये कहाँ का इंसाफ़ है?” ‘पत्रकार’ आरफा को पता होना चाहिए कि ये कोर्ट का इंसाफ है। मार्च 2018 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने उसे 14 वर्षों की सज़ा सुनाई थी। चारा घोटाला के एक नहीं, कई मामले हैं। एक मामले में उसे 7 वर्ष जेल की सजा अलग से मिल रखी है।

लालू यादव बीच में कई बार तिकड़म भिड़ा कर जमानत पाने में भी कामयाब रहा और उसने 2014 लोकसभा चुनाव और 2015 विधानसभा चुनाव में धुआँधार चुनाव प्रचार किया था। 2015 में उसने नीतीश कुमार के साथ सत्ता भोगनी शुरू की और अपने बेटों का करियर सेट किया। उसका घर फिर से राज्य की राजनीति का प्रमुख अड्डा बन गया था। अब एक घोटालेबाज और अपराधियों के संरक्षक के लिए लोग घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं।

और हाँ, आरफा खानुम शेरवानी जिन पर दंगों में संलिप्त होने का आरोप लगाते हुए संसद में बैठे होने की बातें कर रही हैं, उनके पीछे लालू यादव की साझेदारी वाली यूपीए सरकार ने ही कई जाँच एजेंसियों को लगाया था। सीबीआई ने दिन-दिन भर बिठा कर पूछताछ की थी। 10 वर्षों तक सारे तिकड़म आजमाने के बावजूद कुछ भी साबित नहीं हुआ। हाँ, जबरदस्ती आरोप लगाने वाले ज़रूर जनता की अदालत में नंगे हो गए।

कुछ लोगों का मानना है कि राजद की आईटी सेल खासी मजबूत है और ‘सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स’ को रुपए देकर लालू यादव के पक्ष में ट्वीट करवाए जा रहे हैं। कारण ये कि जैसा आरफा ने लिखा, वैसा ही हूबहू सैकड़ों लोगों ने ट्विटर पर लिखा है। अदालत का भी सम्मान न करने वाले इन लोगों ने लालू यादव को ‘गरीबों का मसीहा’ बताया, जबकि बिहार के गरीब पिछले 15 वर्षों से उसे और उसकी पार्टी को नकारते आ रहे हैं।

अब बीमार लालू यादव की तस्वीरें शेयर कर के सहानुभूति बटोरी जाएगी। कुछ कट्टर जातिवादियों को सक्रिय किया जाएगा। हो सकता है कि अराजकता का माहौल भी बनाया जाए, क्योंकि राजद के गुंडे अब भी गुंडे ही हैं। अंतर बस इतना है कि तेजस्वी यादव अच्छी-अच्छी बातें करते हैं और लिबरल गैंग के दुलारे बन गए हैं। लेकिन, एक भ्रष्टाचारी के लिए बेशर्म तरीके से बैटिंग करना और फिर खुद को निष्पक्ष बताना कैसी चाल है?

कुछ लोग लालू यादव को मानवता के नाते छोड़ने की बातें कर रहे हैं। तो फिर पूरे देश की ही जेलों को ‘मानवता के नाते’ क्यों न खाली कर दिया जाए? यहाँ सवाल ये उठता है कि हजारों लोगों के रंगदारी, अपहरण और हत्या के दौरान अपराधियों को संरक्षण देने वाले सत्ताधीश के लिए बैटिंग करने वाले किस मुँह से भाजपा नेताओं या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं? उनका तर्क सीधा है – अगर हाफिज सईद भी मोदी के खिलाफ है तो उसे भी संत बना दो।

लालू यादव को संत बनाया जा रहा है। वो बेचारा नहीं है, बल्कि 15 वर्षों तक बिहार में और कई वर्षों तक केंद्र में सत्ता का धुरी बन कर रहने वाला एक ऐसा घाघ राजनेता है, जो घोटाला कर के सज़ा काट रहा है। उस पर आरोप साबित हुए हैं। झारखंड में ‘अपनी सरकार’ आई तो नियमों को ताक पर रख कर उसे VIP ट्रीटमेंट देने के आरोप लगे हैं। यानी वो तो एक आम अपराधी की तरह सज़ा भी नहीं काट रहा है।

एक सजायाफ्ता कैदी को इलाज के लिए बेहतर सुविधाएँ मिलनी चाहिए और लालू यादव को वो सब दिया जा रहा है, वरना आपने कब किसी आम कैदी को रिम्स निदेशक के बँगले में रहते या तुरंत एम्स में भर्ती कराते हुए देखा है? लालू यादव के लिए पेड ट्वीट्स का अभियान शुरू हो गया है। सहानुभूति की आड़ में मोदी-शाह को विलेन साबित किया जा रहा है। बहाना वही – ‘लालू यादव ने समाजिक न्याय’ किया।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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