सूरत। पर्यावरण के प्रति अपने अटूट प्रेम के कारण सूरत की 17 वर्षीय ख़ुशी चिंदालिया (Khushi Chindaliya) को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम टुंजा इको-जेनरेशन (Tunza Eco-Generation) द्वारा क्षेत्रीय राजदूत (Regional Ambassador) के रूप में नियुक्त किया गया है। मात्र 17 साल की उम्र की ख़ुशी को पर्यावरण के संरक्षण में उनके योगदान के लिए भारत का ‘ग्रीन एंबेसडर’ नामित किया गया है।
सूरत की 17 वर्षीय, ख़ुशी ने पर्यावरण की रक्षा पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम में ऑनलाइन आवेदन किया था। उसके विचारों से प्रभावित होकर, ख़ुशी को भारत का क्षेत्रीय राजदूत बनाया गया है। वह कहती हैं, “पर्यावरण के संरक्षण के प्रति सक्रिय रहना चाहिये, मैं सभी से इसे सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता फैलाने की अपील करती हूं।”
लॉकडाउन और कोरोना महामारी के बीच, कपड़ा व्यापारी बसंत चिंदलिया और एस्ट्रो वास्तु काउंसलर बिनीता की पुत्री ख़ुशी ने अपना पूरा समय पर्यावरण पर कार्य करने में लगाया है। ख़ुशी अपनी जागरूकता योजना पर ऑनलाइन काम करेगी क्योंकि फिलहाल बाहर जाना संभव नहीं है। इस महीने वह रिपोर्ट साझा करेंगे और चर्चा करेंगे कि सरकार पर्यावरण के लिए क्या करती है और शिक्षा इस क्षेत्र में कैसे मददगार है । ख़ुशी ने अपना अधिकांश जीवन पर्यावरण पर काम करते हुए बिताया है। ख़ुशी फरवरी 2021 तक विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों पर टीईजी के साथ कार्य करेगी। महत्वपूर्ण रूप से, ख़ुशी भारत के उन 100 युवाओं में से एक है, जिनके निबंधों को यूनेस्को की पुस्तक में छापा जाएगा।
खुशी काकहना है कि वह प्रकृति से प्रेम करती है और इसी प्रेम ने उसे पर्यावरण के लिए काम करने को प्रेरित किया है। वह पहले न्यू सिटीलाइट इलाके में रहती थी जहां चीकू के पेड़ पर कई पक्षियों का आशियाना था लेकिन कंक्रीट के जंगल बनने के कारण पक्षियों के आशियाना टूटते जा रहे हैं। अगर भारत के सभी युवा मिलकर पर्यावरण के लिए कार्य करें तो भारत पर्यावरण संरक्षण के कार्यो में भी प्राथमिकता हासिल कर सकता है।