सिवनी, मध्यप्रदेश: सिवनी से एक बेहद सनसनीखेज और चिंताजनक मामला सामने आया है, जिसने पूरे पत्रकार जगत को झकझोर कर रख दिया है। जिले के वरिष्ठ पत्रकार सतीश मिश्रा पर जिंदल हॉस्पिटल के संचालक सुनील अग्रवाल एवं उसके कर्मचारियों द्वारा जानलेवा हमला किया गया। इस घटना के बाद न सिर्फ पत्रकारों में आक्रोश है बल्कि आम जनता भी आक्रोशित है.
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पत्रकार सतीश मिश्रा आज सुबह एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद परिजनों को शव ना देने के मामले की रिपोर्टिंग के सिलसिले में जिंदल हॉस्पिटल से जुड़े विषय पर जानकारी जुटा रहे थे। इसी दौरान हॉस्पिटल संचालक एवं कर्मचारियों द्वारा उन पर हमला किया गया। आरोप है कि यह हमला पूरी तरह सुनियोजित था और इसका उद्देश्य पत्रकार को डराना-धमकाना एवं चुप कराना था।
हमले के बाद पत्रकार सतीश मिश्रा तत्काल कोतवाली थाना पहुंचे और एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि सुबह से शाम तक थाने के चक्कर काटने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
एफआईआर में देरी से बढ़ा आक्रोश
एफआईआर दर्ज न होने से पत्रकार समुदाय में भारी नाराजगी फैल गई। इसे न्याय में देरी और प्रभावशाली लोगों को संरक्षण देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पत्रकारों का कहना है कि जब एक पत्रकार सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिक की सुरक्षा की कल्पना कैसे की जा सकती है?
पत्रकारों का डेलीगेशन पहुंचा एसपी कार्यालय
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रेस एसोसिएशन ऑफ सिवनी के अध्यक्ष अयोध्या विश्वकर्मा के नेतृत्व में पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल सुनील कुमार मेहता से मिला। डेलीगेशन ने पूरे घटनाक्रम से एसपी को अवगत कराते हुए निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई की मांग की।
एसपी से मुलाकात के बाद यह आश्वासन दिया गया कि एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी।
प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला?
यह घटना सिर्फ एक पत्रकार पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा प्रहार मानी जा रही है। पत्रकार संगठनों का कहना है कि यदि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह भविष्य में और भी खतरनाक मिसाल बन सकती है।
पत्रकारों की मांग
- दोषियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए
- हमले में शामिल सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो
- पत्रकार सतीश मिश्रा को सुरक्षा प्रदान की जाए
- मामले की निष्पक्ष व समयबद्ध जांच सुनिश्चित की जाए
सिवनी की यह घटना प्रशासन, पुलिस और समाज—तीनों के लिए एक कड़ी चेतावनी है। यदि पत्रकारों की आवाज को दबाने की कोशिशों पर समय रहते रोक नहीं लगी, तो इसका असर लोकतंत्र और जनहित दोनों पर पड़ेगा। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में कितनी संवेदनशीलता और सख्ती दिखाते हैं।

