Seoni, Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश में ख़रीफ़ सीज़न की मक्का और धान की फसलें इस समय मंडियों में पहुंच रही हैं, लेकिन किसानों का दर्द दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। किसानों की उपज का उचित मूल्य न मिल पाने ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
स्थानीय किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा विदेशों से बड़े पैमाने पर मक्का आयात की नीति ने घरेलू बाज़ार को गहराई से प्रभावित किया है। नतीजा यह कि प्रदेश का किसान मजबूर होकर अपनी मक्का केवल ₹1200–₹1400 प्रति क्विंटल तक बेच रहा है—जबकि सरकार का घोषित MSP ₹2400 प्रति क्विंटल है।
मक्का: वह फसल जो सबके खेत में उगती है, लेकिन आज सबसे कम दाम पर बिक रही है
किसान बताते हैं कि मक्का ऐसी फसल है जिसे लंबे समय तक भंडारित करना मुश्किल होता है। एक एकड़ पर ₹20,000–₹25,000 तक की लागत आने के बाद भी किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।
कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में किसानों को न सिर्फ पूरा MSP मिल रहा है, बल्कि परिवहन भत्ता ₹283 भी दिया जा रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश के किसान सवाल उठा रहे हैं—“हमारे साथ ही भेदभाव क्यों?”
“किसानों की आय दोगुनी” केवल वादा, हकीकत में आधी आय?
किसानों का आरोप है कि
- यूरिया और डीएपी की किल्लत हर मौसम में बनी रहती है,
- समर्थन मूल्य पर खरीदी की प्रक्रिया जटिल बना दी गई है,
- और सरकार की नीतियाँ लगातार किसान-विरोधी साबित हो रही हैं।
स्थानीय नेताओं ने याद दिलाया कि कुछ महीने पहले मूंग खरीदी में “जहरीली मूंग” का बहाना बनाकर रुकावट डाली गई थी, और किसानों के दबाव में ही सरकार को पीछे हटना पड़ा था।
“आज नहीं बोले तो कल और नुकसान होगा” – किसानों में बढ़ता गुस्सा
किसान संगठनों का कहना है कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले दिनों में मक्का 2000–2200 रुपये क्विंटल तक महंगी हो सकती है, लेकिन उस समय फायदा किसानों को नहीं, बल्कि व्यापारियों की भरी हुई गोदामों को होगा।
10 दिसंबर को बड़ा आंदोलन – किसानों से की गई एकजुट होने की अपील
जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी ने किसानों की समस्याओं को लेकर 10 दिसंबर, बुधवार, दोपहर 12 बजे कचहरी चौक पर एक बड़े आंदोलन की घोषणा की है।
कांग्रेस नेता राजकुमार पप्पू खुराना, पूर्व जिला अध्यक्ष, ने कहा: “हमारे प्रदेश के किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिलना उनका हक है। जब नमक तक छपे दाम पर मिलता है, तो किसानों की मेहनत की कीमत क्यों नहीं? सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह MSP दिलाए और किसानों की पीड़ा दूर करे।”
उन्होंने सभी किसानों से अपील की कि वे बड़ी संख्या में आंदोलन में शामिल हों, ताकि सरकार पर दबाव बने और उनके परिश्रम का सही मूल्य मिल सके।

