सिवनी/बरघाट (एस. शुक्ला): बरघाट थाना क्षेत्र के ग्राम कौडिया में बीती रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। लंबे समय से चल रहे अवैध पेट्रोल-डीजल के कारोबार ने आखिरकार एक मासूम जान ले ली। ढाबे और टैंकर में अचानक लगी आग से पूरा क्षेत्र दहशत में आ गया और स्थानीय युवक पंकज रहांगडाले जिंदा जलकर राख हो गया।
टैंकर से डीजल निकालते समय भड़की आग
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बीती रात एक फेडरल टैंकर से चोरी-छिपे डीजल निकाला जा रहा था। इसी दौरान अचानक मोटर में शॉर्ट सर्किट हुआ और चंद सेकंड में ही आग ने टैंकर व ढाबे को अपनी चपेट में ले लिया। आग इतनी भीषण थी कि आस-पास अफरा-तफरी मच गई।
टैंकर ड्राइवर ने सूझबूझ दिखाते हुए जलते हुए वाहन को सड़क किनारे लगभग 100 मीटर दूर खड़ा कर दिया और किसी तरह अपनी जान बचाई, लेकिन वह भी गंभीर रूप से झुलस गया।
अवैध धंधे का अड्डा बने ढाबे
स्थानीय लोगों ने खुलासा किया कि बरघाट क्षेत्र में जंगल किनारे बने ढाबे लंबे समय से अवैध ईंधन व्यापार का केंद्र बने हुए हैं। ट्रकों और टैंकरों से चोरी-छिपे पेट्रोल-डीजल निकालकर ग्रामीण क्षेत्रों में बेचा जाता था।
ग्रामवासियों का कहना है कि अगर प्रशासन समय रहते कार्रवाई करता, तो शायद युवक पंकज की जान बच सकती थी।
मोटर से निकाला जा रहा था डीजल
जांच में सामने आया है कि छोटी पानी की मोटर लगाकर टैंकर से डीजल निकाला जा रहा था। टैंकर के ऊपर से पाइप डालकर ईंधन निकालने की यह खतरनाक प्रक्रिया ढाबा मालिक और टैंकर ड्राइवर की मिलीभगत से चल रही थी। माना जा रहा है कि इसी दौरान मोटर में शॉर्ट सर्किट हुआ और आग भड़क उठी।
घंटों जाम, पुलिस-प्रशासन की दौड़भाग
आग लगने से हाईवे पर घंटों तक जाम की स्थिति बनी रही। पुलिस और प्रशासन ने तत्काल वाहनों की आवाजाही रोक दी ताकि कोई बड़ी दुर्घटना न हो।
फायर ब्रिगेड की टीम ने तीन से चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया और टैंकर को ब्लास्ट होने से बचा लिया। लेकिन पंकज रहांगडाले की जिंदगी इस आग में खत्म हो गई।
प्रशासन की मौजूदगी
घटना की सूचना मिलते ही थाना प्रभारी मोहनीश बैस, एसडीओपी ललित गठरे और तहसीलदार अमरित लाल धुर्वे दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने रातभर स्थिति को नियंत्रित करने में जुटकर एक बड़े हादसे को टाल दिया।
बरघाट की यह घटना सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि अवैध पेट्रोल-डीजल माफिया की लापरवाही का नतीजा है। यह सवाल अब और तेज़ी से उठ रहा है कि आखिर कब तक प्रशासन की नाक के नीचे यह खतरनाक धंधा फलता-फूलता रहेगा?