बरघाट सिवनी (मध्य प्रदेश) – शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और बच्चों को बेहतर अध्ययन वातावरण देने के लिए जिला कलेक्टर संस्कृति जैन की अनोखी पहल “गिफ्ट-ए-डेस्क” जिले में मिशाल बन चुकी है। इस योजना के तहत अब जिले के सभी शासकीय स्कूलों में बच्चों के लिए डेस्क-बेंच की व्यवस्था कर दी गई है, जिससे अब किसी भी बच्चे को फर्श या फटी टाट पर बैठकर पढ़ाई नहीं करनी पड़ेगी।
गिफ्ट-ए-डेस्क: शिक्षा के लिए वरदान
अब तक जिले के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कई बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर थे। लेकिन संस्कृति जैन की दूरदर्शी सोच और दृढ़ संकल्प ने यह तस्वीर बदल दी। उनके प्रयासों से अब बच्चे आरामदायक डेस्क-बेंच पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं, जिससे उनकी एकाग्रता और सीखने की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल रहा है।
मध्य प्रदेश के 55 जिलों में शामिल सफल योजना
गिफ्ट-ए-डेस्क योजना मध्य प्रदेश के 55 जिलों में से एक सफलतम मॉडल के रूप में उभर रही है। शिक्षा के प्रति यह संवेदनशील कदम न केवल जिले में बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। इस योजना से बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है और अभिभावकों का भी शिक्षा प्रणाली पर विश्वास बढ़ा है।
बरघाट तहसील में प्रेरणादायक उदाहरण
बरघाट तहसील के ग्राम धोबीसर्रा में जिला कलेक्टर संस्कृति जैन ने स्वयं डेस्क-बेंच वितरण कार्यक्रम में उपस्थित होकर बच्चों से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने पालकों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को भी इस अभियान से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना था – “हर बच्चे को सम्मानजनक और सुविधाजनक वातावरण में पढ़ने का अधिकार है।”
बच्चों और अभिभावकों की खुशी
गांव के कई अभिभावकों ने बताया कि पहले उनके बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ते थे जिससे उनके कपड़े गंदे हो जाते और पीठ में दर्द की शिकायत रहती थी। अब डेस्क-बेंच मिलने के बाद बच्चों का मन पढ़ाई में अधिक लगता है और वे उत्साह के साथ स्कूल जाने लगे हैं।
निष्कर्ष
संस्कृति जैन की गिफ्ट-ए-डेस्क पहल न केवल शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है, बल्कि यह बच्चों के आत्मविश्वास और स्वास्थ्य में भी सुधार ला रही है। यह पहल एक सच्चा उदाहरण है कि सही सोच और मजबूत इच्छाशक्ति से किसी भी जिले की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है।

